Saturday, 30 September 2017

ganv ki majboor ladki part 9

उधर ठाकुर साहब अपने नंगे बदन पर धोती ड़ाल कर चौकी पर सोने लगे ! इधर गुलाबी धन्नो और सावत्री को लेकर अपने घर की और चल दी !जैसे ही दोनों छिनालों के कदम उस कोठरी से बाहर पड़े की दोनों ने बातें करना शुरू कर दिया !रस्ते पर सबसे आगे गुलाबी फिर धन्नो और सबसे पीछे सावत्री चल रही थी !गुलाबी बात शुरू करते हुए बोली :-" जानती हो धन्नो .....जैसे जैसे ठाकुर साहब की उम्र बढ़ रही हे ...मानो उनकी जवानी उफान रही गरम दूध की तरह ...!" तब गुलाबी के ठीक पीछे खेतों की मेढ़ पर चल रही धन्नो पूछी :-" वो केसे ? "तब गुलाबी बोली :-" अरेरेरेरे ...ये अधेड़ नई नवेली ढूंढ रहा हे री !"धन्नो ;-" तुम कोंन सी बूढ़ी हो गई हो ...तुम भी तो जवान ही ही !" धन्नो मुस्कुराते हुए बोली !फिर जबाब में गुलाबी बोली :-" अरे ...हरजाई ...ये बुड्ढा लोधुआ की बेटी जमुना को चोदने के सपने देख रहा हे !"धन्नो :-" लोधुआ ... तो वाही न .....जिसका घर तेरे घर के रास्ते में पड़ता हे !"गुलाबी :- हाँ ..हाँ .....जिसका छोटा सा घर हे ...उस पतली गली में ..रस्ते में क्या ...बगल में ही समझ ..पडोसी हे मेरा ..!"धन्नो :-" उसकी बेटी कितने साल की हे ...?"गुलाबी :-" यहीं कोई अठारह ...उन्नीस ..की होगी !"
धन्नो :-" तो चुदवा दे सांड से ...हे हे हे हे ....पुराना सांड हे ..हमच देगा उसे ..एक दम रवां कर देगा उसे !"गुलाबी :-" जमुना को फंसाना पड़ेगा ....अभी हाथ नहीं आ रही हे वो ..!"धन्नो :-" उसे लंड प्यारा नहीं हे क्या ?"गुलाबी :-"अरी तू क्या बात करती हे ...एकदम कोरी हे वो… अभी तक किसी मर्द का हाथ ही नहीं लगा हे उसको ..!"धन्नो :-" तो ठाकुर साहब केसे पीछे पड़ गए उसके ?"गुलाबी :-" एक दिन मेरी बजाने मेरे घर आ रहे थे रास्ते में देख लिए उसको ...तभी से ....उस दिन भी उसे याद कर मुझे बुरी तरह से चोदा था जैसे वो में हु ....हे हे हे ...!धन्नो :-" हा हा हा तेरी बुरी गत बनी पर देख लिए ...क्या देख लिए उन्होंने उसमे जो मन डोल गया उनका ?"गुलाबी :-" ठाकुर साहब को पतली कमर की लड़की चोदने का पुराना शौक हे ......और जमुना को तो तुमने देखा ही हे कितनी दुबली पतली हे ....कमर तो उसके जैसे हे ही नहीं !"

धन्नो [कुछ सोचकर बोली ] :-" ओह्ह्ह ..तुम उस दुबली पतली लड़की की बात कर रही हो जो तुम्हारी गली में खेला करती हे !"गुलाबी :-" हाँ री ...मुझे तो डर लगता हे कही कस के चोद दिया तो ..उसकी कमर ही टूट जाएगी .....!"धन्नो :-" सच कहती हु वो बहुत दुबली और छोटी सी हे ...ठाकुर साहब को कह देना संभल के चोदे उसे ..!"गुलाबी :-" बोलने से क्या होगा ...ये मर्द सब एक जेसे होते हे ..ताव में आ गए तो कस कर चोदे बिना मानेंगे थोड़ी !"धन्नो :-" अठारह की हो गई ना पूरी ?"गुलाबी :-" हाँ री ...अठारह क्या उन्नीसवा लग गया हे उसे ! मेरी बेटी से सिर्फ ३ महीने ही छोटी हे वो ...तभी तो में कहती बहुत दुबली हे वो ...!"धन्नो :-" छाती उती हे की नहीं उसके ?"गुलाबी :-" छोटी छोटी ...उभार ले रही हे ...पर बहुत छोटी हे निम्बू जैसी !"धन्नो :-" तू सच कह रही हे वो कुंवारी ही होगी !"गुलाबी :-" हाँ री ...और क्या ... कोई मर्द हाथ लगाया होता तो भले ही कितनी ही दुबली क्यूँ न हो चूची तो बाहर आ ही जाती मर्द के हाथ की मालिश पा कर !"धन्नो :-" हूँ ... तो लगवा दे ठाकुर साहब का सील वाली बूर पा कर ठाकुर साहब मस्त हो जायेंगे साथ ही पतली कमर भी !"गुलाबी :-" जमुना को फंसाने की पिछले दो महीनो से कोशिश कर रही हु !"धन्नो :-" तू तो पुराणी छिनाल हे ... इतने समय में तो वो फंस जनि चाहिए थी ना !"गुलाबी :-" साली बिदक जाती हे नइ घोड़ी की तरह ....कई बार कहा चल खेत घुमा लाऊं ...पर तेयार ही नहीं हो रही हे !"धन्नो :-" अरे तू उससे बातें कर ...फुसला ..मर्दों के बारे में बता ..!"गुलाबी :-" हाँ री ..सब करती हु पोखर पर उसे साथ ले जा कर नहाती हु !"धन्नो :-" पोखर में नहाने जाती हे क्या ?"गुलाबी :-" हाँ में उसे रोज़ ही फुसला कर साथ ले जाती हु !"धन्नो :-" तो ठीक ही तो हे ...अपनी बूर उसे दिखा दिखा कर नहा ..लंड बूर की बातें कर उससे !"गुलाबी :-" अभी नई उम्र की संकोच करती हे ...फिर भी में उसे अपनी बूर दिखा ही देती हु ..इधर उधर करके ...!"

धन्नो :-" तो वो देखती तो हे ना ?"
गुलाबी :-" हाँ ..लेकिन ...?"
धन्नो ;-" लेकिन क्या ?"
गुलाबी :-" बड़ी लजाती हे वो !"
धन्नो :-" उसे कहो न लजाती क्यों हो में कोई मर्द थोड़े ही हु ..जो तुम्हारे पास हे वो मेरे पास हे !"इतनी बात बोल कर गुलाबी के पीछे पीछे चल रही धन्नो हंस पड़ी ! धन्नो के पीछे चुपचाप सावत्री चल रही थी और दोनों की बातें भी सुन रही थी ! ठाकुर साहब से बुरी तरह चुद जाने से वो ठंडी हो गई थी ! पर उनकी बातों का रस ले रही थी !खेतो के बीच पतली पतली मेढ़ों पर उन दोनों के पीछे चलती चलती उन दोनों की रंगीन बाते सुन कर उसे अच्छा ही लग रहा था जबकि अब वो जान गई की उसे इन दोनों ने प्लान बना कर ठाकुर साहब से चुदवाया हे ! पर उसे ये सब अच्छा ही लगा था !धन्नो की इस सलाह पर गुलाबी मुस्कुराती हुई बोली :-" अरे सब बोलती हु री में उसे ..दो दिन पहले ही उसे पोखर पर ले जा कर पूछी हु की कभी लंड देखा हे कभी मर्द का !"धन्नो :-" तो ...तो ..क्या बोली वो !"
गुलाबी :-" लजा गई छोरी !"
धन्नो :-" तो कुछ बोली नहीं ?"
गुलाबी :-" पहले तो चुप रही ...फिर बड़ा पूछने पर ना बोली ... फिर हाँ बोली .!"
धन्नो :-" क्या हाँ बोली ?"
गुलाबी :-" यहीं की लंड देखा हे और क्या ?"
धन्नो :-" किसका ?"
गुलाबी :-" अरे ऐसे ही बोली की कई बार कईयों के देखे हे लंड मुतते हुए और क्या !"
धन्नो :-" तू सच में बड़ी छिनाल हे !" इतना कह कर धन्नो हंसने लगी !
गुलाबी :-" अब इसमें छिनाल पन वाली कोनसी बात हो गई ?"
धन्नो :-" तू ही तो कह रही थी ना की जमुना फंस नहीं रही हे !"
गुलाबी :-"तो क्या कहु सही ही कह रही हु न हर बार लजा कर रह जाती हे ..आगे तो बात बदने नहीं देती हे वो !"
धन्नो :-" तो क्या किसी लंडखोर की तरह सीधे ठाकुर साहब के लंड पे जा कर बेथ जाएगी ...अभी नहीं नहीं बोल रही हे तू उसे और फुसला ..उसे और गरम कर ...जब वो लंड की बाते करने लगे समझ ले चुद्वाते देर नहीं लगेगी !"
गुलाबी :-" मेरा भी यही अंदाज़ा हे री !"
धन्नो :-"ना हो तो उसे खेतों की तरफ ले जा कर खुद ही किसी से बहाने चुदवा ले ...उसे छुपा कर रख तुझे देखने दे जब तुझे लंड खाते देखेगी तो उसे मर्द ओरत के आनंद का पता चल जायेगा और वो भी किसी से चुदवाने को तेयार हो जाएगी !"
गुलाबी :-" वो साली खेतों की तरफ तो जाती ही नहीं हे किसी तरह पोखर तक ही नहाने जाती हे बस !"
धन्नो :-" तुम्हारे घर में आती हे की नहीं ? वहाँ उसके सामने सुक्खू से पेलवा ले तू !"
गुलाबी :-"अरे वो पहले आती थी पर सुक्खू की गलती से बिदक गई !"
धन्नो :-"उस तेरे प्रेमी ने उसके क्या कर दिया ?"
गुलाबी :-" तू तो जानती हे न सुक्खू कितना बड़ा चोदु हे .. एक दिन उसने जमुना की निम्बू जैसी चूची पकड़ कर मीज दी !"
धन्नो :-"ओह ..फिर क्या हुआ ?"
गुलाबी :-" हुआ क्या उस दिन के बाद उसने मेरे घर आना ही छोड़ दिया !"
धन्नो :-'तो तुझे सुक्खू ने बताया था ये सब ?"
गुलाबी :-" नहीं .. कोई मर्द भला अपने मुह से अपनी गलती थोड़े ही बताएगा !
धन्नो :-" तो केसे पता लगा तुझे ये सब ?"
गुलाबी :-"जब उसने मेरे आना जाना छोड़ दिया तो पोखर के पास उससे अकेले में खूब पूछा उससे !"
धन्नो :-" तो क्या बोली ?"
गुलाबी -" पहले तो चुप रही फिर बोली ये सुक्खू चाचा उस पर बुरी नज़र रखता हे !"धन्नो :-" फिर आगे .... क्या बोली ..!"
गुलाबी :-" फिर चुप हो गई ...एकदम रोने जेसा मुह बना लिया ...मानो रो देगी ..!"
धन्नो :-"सच में ..!
गुलाबी :-" उसका ये हाल देख कर में तो सन्न रह गई ....मुझे तो एक बार ऐसा लगा की सुक्खू ने उसका बाजा बजा दिया हे ..!"
धन्नो :-" सच में क्या हुआ था ....सुक्खू ने क्या किया था !"
गुलाबी :-"जैसे ही उसका मुह रोने जैसा हुआ ...तो में झट से उसके सामने बूर खोल कर बेठ गई और मूतने लगी ..!"
धन्नो :-" फिर ...?"
गुलाबी :-"मेरी बूर को देखते ही उसने अपना मुह दूसरी और फेर लिया ....फिर मूतने के बाद में उसको खूब फुसला फुसला कर पूछा की सुक्खू ने क्या क्या किया था !"
धन्नो :-" क्या बताई ?"
गुलाबी :-"वो बोली की .....एक दिन वो मुझे खोजते हुए घर आई और कोई नहीं था ....और अकेले में सुक्खू ने उसे पकड़ लिया !"
धन्नो :-" क्या पकड़ लिया ?"
गुलाबी :-" मर्द भला क्या पकड़ेगा किसी लड़की का ..? अरे जमुना ने कहा की सुक्खू ने उसकी छातियों को पकड़ लिया !"
धन्नो :-" बस ...छाती ही पकड़ा की चोद डाला !"
गुलाबी :-" अरे नही री ...एक बार तो उसके रोने जैसा चेहरा देख कर सोचा की सच में उसने इसे चोद ना डाला हो ...पर सच में उसने इसकी निम्बू जैसी दोनों चुचियों को मीज दिया था !"
धन्नो :-"केसे पता की सुक्खू ने उसको चोदा नहीं होगा अकेले में ?"
गुलाबी :-"मेने सुक्खू से खुद पूछी थी !"
धन्नो :-" तो सुक्खू ने क्या बताया था ?"
गुलाबी :-"हा उसने बताया की एक दिन दोपहर में कोई नहीं था तब जमुना उसे खोजने घर आई थी !"
धन्नो ;-" तो सुक्खू ने क्या किया उसके साथ ?"
गुलाबी :-"वो जब उसने सुक्खू से मेरे बारे में पूछा तो उसने कहा कोठरी में अन्दर हे जब वो अन्दर घुसी तो सुक्खू ने उसे पीछे से पकड लिया और उसकी दोनों चूचियां को पकड़ कर मीज दी !"
धन्नो :-"ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....और क्या किया उसने ....?"गुलाबी :-"में उससे पूछी सच सच बता क्या क्या किया था उसके साथ ....तो उसने बताया की फरक के ऊपर से ही उसकी चुचियों को मसला और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चड्डी में डाल दिया था ...वो कसमसा रही थी और अंगुलियों से उसकी चूत को सहला कर जैसे मेने अंगुली उसके छेद में डालनी चाही की ...जमुना चिल्ला उठी ..तो सुक्खू ने उसे एक दम से छोड़ दिया और वो वह से अपने घर भाग गई !"धन्नो सिसकारते हुए :-" अंगुली घुसा दिया था की नहीं ?"गुलाबी :-"सुक्खू ने बताया की अंगुली बस घुसाने की कोशिश कर रहा था की वो चिल्ला उठी !"
धन्नो :-"फिर ?"
गुलाबी :-" सुक्खू ने बताया की अंगुली अन्दर घुस ही नहीं पा रही थी ...सील बंद माल था वो एक डीएम कुंवारी बूर थी !"
धन्नो :-" तब तो जमुना अभी कुंवारी ही हे !"
गुलाबी :-"मेने ये बात ठाकुर साहब को बताई थी की सुक्खू ने उसकी बूर में अंगुली घुसाने की कोशिश की थी पर घुस नहीं पाया ... एकदम कसी और कुंवारी बूर हे जमुना की !"
धन्नो :-'तभी ठाकुर साहब कुंवारी बूर के सपने देख रहे हे ..हे हे हे ....!"
गुलाबी :-'ठाकुर साहब अपने हाथ से अपने लौड़े को दबा दबा कर रोज़ जमुना के बारे में पूछते हे !"
धन्नो :-"तो चुदवा दे न साली को ठाकुर साहब के मोटे मूसल जैसे लंड से ....जिन्दगी भर याद रखेगी ...हे हे हे !"
गुलाबी :-"हाँ री ...में भी सोच रही हु की कब हरजाई की चूत में ठाकुर साहब का मोटा लंड धंसेगा में तो वाही खड़े रह कर देखूंगी !"
धन्नो :-" मुझे तो लगता हे अब चुदवा लेगी वो !"
गुलाबी :-"हाँ री ..मेने भी ठाकुर साहब को कह दिया थोडा सब्र कीजिये उस पतली कमर वाली जमुना की सील आप ही तोड़ेंगे उसकी कमर को दोहरी कर के !"
धन्नो :-"ठाकुर साहब तो ये बात सुनकर मस्त हो गए होंगे !"
गुलाबी :-"मत पूछ ...अपने लंड पर रोज़ तेल मालिश करवाते हे जमुना की सील तोड़ने के ख्वाब देख देख कर !"
धन्नो :-" बड़ा भारी हे रे ...मोटा मूसल लंड ठाकुर साहब का !"
गुलाबी :-"[रस्ते में रुक कर सावत्री की और देख कर मुस्कुराते हुए ] ये तो सावत्री ही बताएगी की कैसा हे ?"
धन्नो :-" रोज़ तू लंड खाती हे ठाकुर साहब का और सावत्री क्या बताएगी !" और धन्नो हंसने लगी!गुलाबी :-" आज तो ये भी उस अजगर को पूरा निगल गई थी अपनी बूर में ... तो क्या इसे पता नहीं चला होगा !"
धन्नो :-" तो पूछ ले इसे ...बता दे री कैसा लगा तुझे ठाकुर साहब का ओजार !"इतनी बात सुनते ही सावत्री लजा गई और रास्ते पर खड़ी हो कर उसकी और देख रही धन्नो और गुलाबी की नज़रों से अपनी नज़रें हटा कर दूसरी और देखने लगी ! मानो कोई जबाब देना नहीं चाहती थी ! तभी धन्नो ने सावत्री की एक चूची अपने हाथ में पकड लिया और दबाते हुए बोली :-" बोल ....बता री बोलती क्यों नहीं ..कैसा लगा तुझे ठाकुर साहब के लंड का स्वाद ....हे हे !"दुसरे ही पल सावत्री अपनी चूची पर से धन्नो का हाथ हटाते हुए कुछ नखरा करते हुए और कुछ गुस्सा दिखाते हुए बोली :-" धत्त चाची ...छोडो इसे ...और चलो यहाँ से ...!"

धन्नो :-" बोल री ...हरजाई कैसा लगा तुझे ...लंड !"
सावत्री :-"{अपने मुह को दूसरी और फेरते हुए } में कुछ नहीं जानती !"
गुलाबी :-" बूर चोडी कर के सारा लंड खा लिया ...और अब सब भूल गई !"
सावत्री :-" छी ... में नहीं बोलूंगी !"
धन्नो :-" बोल री ....हमने तो तुम्हे चुदते देखा हे और कोण यहाँ तीसरा हे ... हम दो ही तो हे ...अब बता भी दे री !"
गुलाबी :-" हाँ ..अब लाज केसी हमने देखि तुझे कितना मजा आया था हरजाई ..अब बता भी दे अपने मुह से !"
धन्नो :-" अच्छा बस इतना बता दे की मज़ा आया की नहीं !"
सावत्री कुछ पल के लिए चुप रही और ख्यालों में ठाकुर साहब का मोटा लंड आते ही वो मुस्कुरा दी !ये देख कर धन्नो बोली :-" बस ये बता दे मज़ा मिला की नहीं ठाकुर साहब के साथ !"सावत्री मुस्कुराते हुए :-" हूँ "!
गुलाबी -" क्या ?"
सावत्री :-" कुछ नहीं !"
धन्नो :-" अरी रंडी ...क्या लजा रही हे ...मानो आगे ससुर या खशम खड़ा हो ...बोल दे ...कैसा लगा ?"
सावत्री :-" ठीक लगा !"
गुलाबी :-" क्या ठीक लगा ?"
सावत्री :-" वही .....!"
धन्नो :-" क्या यही क्या वही ....हरजाई बोल न खुल के मज़ा आया की नहीं !"
सावत्री :-" बोली तो ..!"
धन्नो :-" तो वही खुल के बोल ...!"
सावत्री :-"कह तो रही हूँ .....म मज़ा आया ...!" इतनी बात बोलते सावत्री का बदन सिहर उठा !फिर गुलाबी और धन्नो रास्ते पर चलने लगी पीछे पीछे सावत्री भी चलने लगी !सुनसान खेतों के बीच पतले रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आगे बातें शुरू की ...!
गुलाबी :-" मोटा लगा ?"
सावत्री :-" हूँ ...!"
धन्नो :-" धक्का तो जोर जोर से मार रहे थे ...केसा लगा ?"
सावत्री कुछ नहीं बोली और पीछे पीछे चुपचाप चलती रही !
गुलाबी :-" धक्का पसंद आया ठाकुर साहब का ...हमच हमच कर मार रहे थे न !"
सावत्री :-" {लजाते हुए } अब में कुछ भी नहीं बोलूंगी !"
धन्नो :-" बस ये बता दे की उनके धक्के पसंद आये की नहीं !"
सावत्री :-" चलो पसंद आया चाची ..पर अब कुछ मत पूछो !"
धन्नो :-" अरी रंडी इन सब में ही तो मज़ा आता हे चुदाई जैसा !"
सावत्री :-" किस में ...!"
धन्नो :-" अरी चोदा चोदी की बातों में !"
गुलाबी :-" पेला पेली की बातें करेगी तो बहुत मज़ा आएगा !"
धन्नो :-" इसी लिए तो तुझसे पूछ रहे हे और तू साली लजा रही हे किसी कुंवारी लड़की की तरह !"
धन्नो :-" देख हम दोनों में कैसा चलता हे ....मतलब चोदा चोदी की बातें !"
गुलाबी :-" और क्या !"
धन्नो :-" देख गुलाबी अपने यार सुक्खू से कैसे चुदती हे वो भी बता देती हे !गुलाबी :-" और ये भी बता दे की तू भी मेरे सामने ही गांड उछाल उछाल कर सुक्खू से चुद्वाती हे !...हे हे हे !"
धन्नो :-" लाज केसा ......चुदवाती हु तो चुदवाती हु ...में क्यों लजाउंगी री ..!"
गुलाबी :-"अरी धन्नो ....तो सुक्खू के लंड के बारे में इसे बता दे ...!"
धन्नो :-" लंड के बारे में क्या करेगी जान कर ...अब ये कुंवारी थोड़े ही हे ...जब चाहे सुक्खू के लंड से मरवा ले अपनी बूर ..!"
सावत्री :-"छी ...चाची अब बस भी करो ..!"
धन्नो :-" बस क्या री ...ये ही जवानी हे ...लूट ले मज़ा ...ससुराल जाते ही तो बच्चे पैदा करने की मशीन बन जाएगी !"
गुलाबी :-" और चार छ बार बियाने के बाद न तो मौका मिलेगा और ना ही कोई चोदने वाला मिलेगा ...फिर कौन आएगा !"
धन्नो :-" और बूर की कसावट और लावण्य भी ख़तम हो जायेगा जो इस जवानी में हे !"
गुलाबी :-" देख आज ठाकुर साहब कितने चाव से तेरी चुदाई किये ...!"इस तरह की बातें करती तीनो खेतों के सुनसान रास्ते पर चलते चलते एक बगीचे के पास पहुँच गई !जो गुलाबी के गाँव के बाहर कुछ ही दूरी पर था !तभी गाँव की तरफ से ३५ - ३ ६ साल की ओरत आ रही थी लाल साडी में , बिंदिया लगाये हुए .हाथ में खुरपी , मांग में सिन्दूर पैर में हवाई चप्पल !उसे अपनी तरफ आते देख कर गुलाबी धीमी आवाज़ में धन्नो से बोली :-" देख वो मेरे गाँव के रामदास को ओरत हे ..३ बज गए हे ये देख चल दी हे ये घास काटने !"
धन्नो :-" घास काटने ...अकेली ही जाती हे क्या ?"
गुलाबी :-"अरे ...ये भी नई खिलाडी निकल रही हे ....इसे जाने दे ..तब बताती हु !"इतना सुनकर धन्नो कुछ नहीं बोली ! वो ओरत अपनी धीरे धीरे अपनी चाल से चलते चलते नजदीक आ गई !ठीक सामने आने के बाद सभी रास्ते पर एक जगह खड़ी हो गई !उस ओरत ने तीनो पर सरसरी नज़र दौड़ाने के बाद गुलाबी से मुस्करा कर बोली :-" अरे दीदी ..आज सारी बारात ले कर कहा से आ रही हो !"
गुलाबी :-" अरी ये धन्नो हे ...मेरी पुरानी सहेली ...बगल के गाँव की ..तू तो देखि होगी लाजो !"
लाजो :-" हाँ अक्सर देखती हु आते जाते ..पर इधर कहा से ?"
गुलाबी :-" इसे घुमाने ले गई थी ठाकुर साहब के खेत पर ...और ये सावत्री हे ...इसे काम चाहिए तो इसे ..तो इसे ठाकुर साहब के खेत में काम पर लगा दूंगी !"
लाजो :-"{ सावत्री को सर से पांव तक देखते हुए } हाँ ..अब पापी पेट हे जो न करावे !"गुलाबी की इस झूठी बात ने सावत्री के मन में एक बेचेनी दौड़ा दी !लेकिन वो खड़ी खड़ी अपने चेहरे को दूसरी और मोड़ खेतों की देखने लगी ! फिर लाजो की और देखते हुए गुलाबी बोली :-" अरे तू अपनी सुना लाजो ये ...खुरपा और कांची लेके कहाँ चली ?"
लाजो :-" कहाँ जायेंगे ....ये जो ससुर ने एक भेंस मेरे दरवज्जे पे बांध दिए ...उसी के लिए ...!"
गुलाबी :-" अरे तो फिर दूध के तो मज़े होंगे फिर ....!"
लाजो :-"...ना दीदी ...अभी तो बियाने वाली हे ...!"
गुलाबी :-"तब तो बहुत बढ़िया हे ....कितने दिन बाद बिया जाएगी !"
लाजो :-"दीदी ...वो मवेशी का डॉक्टर आया था ...देख के बोल एक हफ्ते का समय हे !"
गुलाबी {कुछ मजाक के साथ}:-"वो चुवां रही हे की नहीं !"
लाजो { कुछ लजाते हुए }:-"कई दिनों से ...चूं रही हे ..!"{ फिर अपने मुह पर हाथ रखा कर हंसने लगी }!
धन्नो हँसते हुए :-" तब मवेशी डाक्टर ये ही देख कर बोल होगा !
लाजो :-" पता नहीं !"
गुलाबी :-" तू अपनी बता तू चूं रही हे या नहीं !"लाजो :-" धत्त दीदी ...कुछ तो लाज किया करो ...मुझे देर हो रही हे !"इतना कहते लाजो हंस पड़ी और बगल से होते हुए तेजी से जाने लगी ! फिर धन्नो और गुलाबी भी हंस पड़ी ! और तेज तेज जा रही लाजो से जोर से पूछा :-" और तो सब ठीक हे ..!"और लाजो भी पलट कर देखते हुए बोली :-" हाँ दीद सब ठीक हे " और अपने रस्ते चली गयी !उसके जाते ही ये तीनो भी अपने रस्ते चलने लगी ! रास्ते पर चलती हुई गुलाबी धीरे से बोली :-' ये साली नई चुदद्कड निकल रही मेरे गाँव में !"
धन्नो :-" लेकिन बड़ी सीधी लगती हे ये ..!"
गुलाबी :-" लंड सबको अच्छा लगता हे ...देख इस पर घुड़सवारी करने वाला भी आता ही होगा !"
धन्नो :-" किस से फंसी हे ?"
गुलाबी :-" मेरे गाँव का ही एक आवारा हे ..बदरी ...एक नम्बर का चोदु हे ...!"
धन्नो :-" लेकिन देखने में तो एकदम शरीफ लगती हे जेसे पतिव्रता हो !"
गुलाबी :-" अरे वो बदरी ..एक नम्बर का चोदु हे ..इसे कुछ ही दिनों में एक नंबर की लंड खोर रंडी बना देगा ...रोशन कई कई बार पलता हे इसे !"
धन्नो :-" कितने साल का होगा वो !"
गुलाबी :-"अरी तू उसे देखि तो हे ...एक बार हम दोनों खेत जा रहे थे तो इसी बगीचे खड़ा था और हमसे मजाक किया था !"
धन्नो :-"अच्छा हाँ ...वो 35 -36 साल का आदमी ......जो तुझे कह रहा था ठाकुर से मन नहीं भरा क्या भौजी ?"गुलाबी :-" हाँ वहीँ ....गाँव का एक नम्बर का चोदु हे ..पूरा हरामी ...हाँ री बड़े गंदे मजाक करता हे वो भी खुलेआम ...!"
धन्नो :-" देवर जो लगता हे तेरा !"
गुलाबी :-" कोई सगा वाला देवर थोड़े ही हे !"
धन्नो :-" गाँव का तो हे ना ....अब देवर हे तो मजाक तो करेगा ही ना !"
गुलाबी :-"अरे ऐसा भी कोई मजाक करता हे ...एकदम खुल्ला खुल्ला बोल देता हे !"तभी गुलाबी की नज़र तेज तेज आते बदरी पर पड़ गई वो एकदम ठिठक गई ! फिर पीछे मुद के धन्नो से बोली :-" देख वो आ गया ...राक्षस का नाम लो और वो हाज़िर !"
धन्नो :-" कौन ?"
गुलाबी :-" वहीँ रे बदरी ...देख वो आ रहा हे ये जा रहा हे उस लाजो के पीछे उसे खेतों में पेलने ..!"
धन्नो :-" देखें आज तुझे क्या बोलता हे तेरा ! :
गुलाबी :-" आज तो में भी नहीं छोडूंगी इसे !"
धन्नो :-" तू भी उसे गाली देदे आज इसे कश के ..!"
गुलाबी :-"आज तो बोलेगा तो करारा जबाब में भी दे दूंगी !"उधर गाँव के रास्ते पर बदरी तेजी से नजदीक आ रहा था ! इधर गुलाबी धन्नो और सावत्री गाँव के रास्ते की और धीरे धीरे बढ़ रही थी !तीनो पर जेसे ही बदरी की नज़र पड़ी वो गुलाबी से बोल :-" क्या री भौजी ....कौनसा मेल देख कर आ रही हे !" फिर बदरी रास्ते पर सामने ही खड़ा हो गया ये तीनो भी रुक गई !गुलाबी :-" कौन मेला ...केसा मेला ...बदरी बाबु क्या हो गया हे तुम्हे ?"
बदरी :-"तो तीन तीन लोग इस दुपहरिया में इधर कहाँ से ?"
गुलाबी :-"अरे ठाकुर के खेत से ...और कहाँ से !"
बदरी :-"तो मेल नहीं केला खाने गई थी ठाकुर साहब का ..हा हा हा ...!"
गुलाबी :"और तू कहाँ जा रहे हो ...मालूम हे हमें ..!"
बदरी :-"अरी का मालूम हे ...भौजी ?"
गुलाबी :-"आगे आगे नई कुतिया गई हे तुम कुत्ते की तरह उसके पीछे आ गए ...जाओ और उसकी गांड चाट कर चोदो उसे !" कुछ गुस्सा दिखाती हुई सी बोली !
बदरी :-" अरी भौजी कौनसी कुतिया ...कोनसी कुतिया की बात कर रही हो तुम ...सच कहूँ तो कुतिया तो तुम हो भौजी ...तुम्हारी बूर को ठाकुर साहब और सुक्खू ने अपना मूसल डाल डाल कर चौड़ा कर दिया हे ...और भी कितने लंड खाई होगी तू !"इतना सुनते ही धन्नो अपनी साड़ी का पल्ला मुह में लगा कर हंसने लगी और शर्माने का नाटक करने लगी !
गुलाबी :-" जाओ उस लाजो को चोदो ....जो घास करने गई हे ..सब मालूम हे मुझे .सब पता हे वो केसी घास करने गई हे !"
बदरी :-" एक बात बोलूं भौजी !"
गुलाबी :-" बोलो !"
बदरी :-" तू कब देगी मुझे अपनी बूर चोदने के लिए !"
गुलाबी :-" { सावत्री की और देखते हुए } अरे तू पागल हो गया हे क्या ....आज लाजो की मिल रही हे तो जाओ और उसे थूक लगा कर चोदो उसे !"
बद्री :-" पर भौजी बता न तू अपनी बूर कब देगी ठोकने के लिए !"
गुलाबी :-"{ सावत्री और धन्नो की तरफ देखती हुई } थोडा तो शर्म कर बदरी ....तू मुझे भौजी कहता हे इसलिए ....कुछ नहीं कहती वर्ना जान ले लेती तुम्हारी !"
बदरी :-" तू जानती हे न देवर भौजी का रिश्ता ही ऐसा ही होता हे ....इसीलिए तो तुझसे बूर मांग रहा हु !"
गुलाबी :-"[कुछ गुस्से से } बदरी बाबू देवर भाभी के मजाक में देवर भाभी की बूर में ऊँगली थोड़े ही पेलता हे ..मजाक मजाक की तरह होता हे समझे !"
बदरी :-" अरे भौजी में अंगुली कहाँ पेल रहा हु ....में तो ये लंड पैलने की बात कर रहा हु !"और इतना कहते ही बदरी ने अपनी लूंगी के एक किनारे से हाथ से पकड कर अपना लंड बाहर निकाल दिया !लंड पूरी तरह से खड़ा नहीं था पर हल्का हल्का उठ रहा था और काले रंग के नाग की तरह भयंकर लग रहा था !सावत्री और धन्नो दोनों उसके काले नाग की तरह लंड को देख कर सिहर गई !सावत्री तो डर गई और अपनी जगह खड़ी खड़ी ही जेसे कांप सी गई ! फिर अपनी नज़रे दूसरी और फेर ली मानो कुछ देखा ही ना हो !फिर धन्नो भी एक नज़र लंड को देखि और पल्लू से अपने मुह को दबाते हुए लाज दिखाते मानो हंस पड़ी !बद्री का काला भयंकर लंड घनी झांटो से कुछ ढका हुआ था ! उसे देखते हुए गुलाबी भी चोंक पड़ी !बदरी का काला लंड देख कर गुलाबी चौंकी और बदरी से बोली :-" छी ....बदरी ये क्या कर रहा हे ...इसे अन्दर कर ...
बिलकुल ही बेहया हो गया हे तू तो ....ये क्या हे ..!" लेकिन बदरी अपने लंड पर उगी घनी झांटों को सहलाते हुए बोला :-"क्यूँ भौजी ...ये कोई भूत थोड़े ही हे ...क्या ऐसा लंड नहीं देखि हो तुम सब लोग ....ये भी तो लंड हे ...!" धन्नो अपनी साड़ी का पल्लू अपने मुह में छिपाए हंस रही थी इधर उधर मुह कर रही थी और तिरछी निगाहों से बदरी के लंड को भी देख रही थी !गुलाबी ने उस रास्ते पर खड़े हो कर चारों और देखा खेतों में ऊँची ऊँची लहलहाती फसल होने के कारन बद्री की ये करतूत कोई खेत में से नहीं देख सकता था ! और कोई चरों और कोई दिख भी नहीं रहा था !फिर गुलाबी कुछ चिल्लाती सी और दांत पीसते हुए बदरी से बोली :-" इसे अन्दर कर ..बदरी ...कुछ तो लाज कर ...ये दोनों क्या सोचेगी रे ...तेरे और मेरे बारे में ...इसे अन्दर कर !"और फिर बद्री ने अपने लंड के नीचे आलुओं के आकर के दोनों आ डों को भी बाहर निकाल लिया और अपनी घनी झांटों को सहलाते हुए बोला :-"ये देख मेरा पूरा खजाना हे ...ये दूसरी वाली भौजी बोलेगी तो इसे अन्दर कर लूँगा ...!" और फिर वो धन्नो की और देखने लगा !धन्नो अपने दांतों को साड़ी में छिपा कर दूसरी और मुह कर के हंस रही थी !और रह रह लंड भी देख रही थी !तब गुलाबी बोली :-" बोल दे री ...धन्नो ...अंदर कर ले ....!"धन्नो :-" में क्या बोलूं ....ऐसा मर्द नहीं देखा ...इतना गंदा ...छी ..!"
गुलाबी :-" अरे बोल दे ना की इसे अन्दर कर ले ...!"
धन्नो :-" में कुछ न बोलूंगी ...जिसका देवर हो वो जाने ...!"
बदरी :-" अच्छा ...तो देखो अब ये तुम सबको देख कर खड़ा भी हो रहा हे .....!"
गुलाबी :-" देख बदरी ...किसी मजाक की कोई हद होती हे ...कोई देख लेगा तो ..!"
बदरी :-"{अपने आधे खड़े हुए लंड को हाथ से सहलाते और हिलाते हुए } भौजी में इसे लुंगी में अन्दर तब करूँगा जब ये छोटी वाली भौजी इसे अन्दर करने को कहेगी !"बदरी का इशारा सावत्री की और था जो लाज के मारे सिमटी हुई दूसरी और देख रही थी !गुलाबी ने चारो तरफ देखा और लपक के बदरी के लंड को हाथ में थाम लिया और उसे लुंगी के अन्दर की और ठेलते हुए बोली :-"इसे अ अन्दर ...कर लो ...बदरी ..इसे अन्दर !"गुलाबी की इस हरकत ने सावत्री के बदन करेंट जैसी सनसनी दौड़ा दी !गुलाबी कितनी आसानी से अपने गाँव के आदमी का लंड अपने हाथ में थाम कर उसकी लुंगी से ढांप रही थी !और गुलाबी के हाथों का स्पर्श पा कर उसका लंड पूरा खड़ा हो गया और जैसे ही गुलाबी ने अपने हाथ उसकी लुंगी से वो तन कर अपने आप फिर बाहर आ गया और तीनो को सलामी देने लगा !अबकी बार पूरा तन्नाया हुआ था और लुंगी की साइड से बाहर खड़ा उसका मोटा काला लंड झाठ्के खा रहा था !तब बदरी गुलाबी से बोल :-" लो भौजी ...अब में ही इसे अन्दर कर लेता हु ..!" उसने अपने खड़े लंड पर प्यार से अपना हाथ फिराया और दुसरे ही पल उसे ऊपर की और मोड़ कर लुंगी के अन्दर कर लिया सुपारे को लुंगी की गाँठ में अटका दिया !लुंगी कुछ उभरी हुई लग रही थी ! फिर वो गुलाबी से बोला :-" लो भौजी आज तो में जल्दी में हु अब जाना पड़ेगा लाजो की बूर मेरे इस लंड का रास्ता देख रही होगी पर ये बता दे तू अपनी बूर मुझसे कब चुद्वायेगी !"
गुलाबी :-" जहाँ जा रहे हो वहां जाओ उसकी गांड चाटो ...कब दे रही हो ..हूँ रंडी हु क्या !"
बदरी :-" अरी भौजी लंड दिखा दिया तो तू बूरा मान गई ....तू मुझे अपना देवर नहीं समझती ..ठीक हे फिर में अब जा रहा हु ...!"इतना कह कर जैसे बदरी खेतों की और जाने के लिए तेजी से मुदा की गुलाबी ने पूछ लिया :-" अरे कहा जाने की जल्दी हे ...एक बात तो बता ...!"
बद्री :-"{रुकते हुए } क्या भौजी ?"
गुलाबी :-" {धीमी आवाज़ में } लेकिन सच में बताओगे तब पूछूंगी !"
बदरी :-"जल्दी पूछ भौजी जल्दी हे मुझे अब इस नाग को जल्दी बिल में डालना हे !"
गुलाबी :-"ये लाजो ..कब ..से…।
बदरी :-"{मुस्कुराते हुए } दो महीने से भौजी ....अब तेरे से क्या झूठ बोलूं २ महीने से रोज़ ही पेलवा रही हे मुझसे ये !"
गुलाबी :-" रोज़ ?'
बदरी :-" हाँ रोज़ ही चोद लेता हु में कभी कभी मौका नहीं पड़ता हे तो उसके बदले में कभी दो तीन बार रगड़ देता हु उसे !"
गुलाबी :-" रोज़ क्यों नहीं आ पति ?'
बदरी :-" अरे अपने सास से बड़ी डरती हे कभी फुट भी जाती हे ...पर अभी तो रोज़ ही घास करने के बहाने आ जाती हे खेतों में मुझसे चुदने !"गुलाबी :-" अरे ये तो बता तेरा पानी गिरवाती हे वो अपनी बूर के अन्दर !"
बदरी :-"अरी भौजी तुझे क्या पता वो पूरा पानी अन्दर झड्वाती हे पूरा निछोड लेती हे ...बड़ी शौकीन हे अंदर पानी गिरवाने की !"
गुलाबी :-"घोड़ी बना के चोदता होगा तू उसे !"
बदरी :-"अब देर हो रही हे ...कल शाम की अँधेरे में बगीचे में आ जाना ...तुझे सब बातें बता दूंगा ...अभी मुझे जाने दो !"इतना कहते हुए वो अपने मुरझा रहे लंड लुंगी के ऊपर से ही पर हाथ फेरने लगा और तेजी से खेतों की तरफ जाने लगा !उसके जाते ही धन्नो बोली :-' सच में बड़ा हरामी हे ये तो ....बेशरम एक नंबर का ...देख कैसे अपने लंड को निकाल कर दिखा दिया !"इतना बोल कर धन्नो ने सावत्री की चिकोटी काटी जब सावत्री ने उसकी तरफ सिहर कर देखा तो आगे बोली :-"देखा तूने उसे कैसा रसीला मर्द हे ..अपना लंड पूरा दिखा दिया !" सावत्री कुछ नहीं बोली ! फिर रास्ते पर चलते हुए गुलाबी बोली :-"हाय ये लाजो को खूब चोदता होगा ..लाजो के तो मज़े हे इसका लंड भी बड़ा मस्त हे ...एक दम खम्भा हे ...!"
धन्नो :-" तू भी तो उसे अपने हाथ में थाम ली ...बड़ी चुद्दकड़ हे तू भी साली ..हा हा हा हा !"
गुलाबी :-" थामती नहीं तो क्या करती ..कह रही थी इसे अन्दर कर लो पर सामने खड़ा कर के रखा हे !"धन्नो :-" गरम था ना वो ! " ऐसा कह कर फिर उसने पीछे चल रही सावत्री के चिकोटी काटी !
गुलाबी :-" तू ही क्यों ना थाम ली पता चल जाता गर्म हे की केसा हे !"
धन्नो :-"तेरा देवर ....तू थाम उसका लंड ...में क्यों थामू री ...ऐसे रास्ते चलते लंड थाम लू तो मेरी इज्ज़त का कचरा हो जाये ...!"इतना सुनते ही गुलाबी फिर आगे बोली :-" अरे वो एक बात तो भूल ही गई !
धन्नो :-" क्या ?"
गुलाबी :-" अच्छा ,,घर चल फिर बात करुँगी !"
धन्नो :-" तेरे गाँव और तेरा घर तो आ ही गया हे अब बता क्या बात हे !"
गुलाबी :-" तू अपनी बेटी मुसम्मी के लिए कोई रिश्ता देखा या नहीं !"
धन्नो :-" { एक पल चुप रह कर } अरे हां री .....वो शगुन चाचा हे न उसे बोल हे कोई अच्छा सा रिश्ता देखने को ...उस हरजाई के हाथ पीले कर के फुर्सत पा लूँ !" इतनी बात होते होते तीनो गुलाबी के गाँव में प्रवेश कर चुकी थी !फिर तीनो गाँव की पतली गलियों में चलने लगी ! तभी जमुना का घर आ गया !तीनो चुपचाप ही चल रही थी ! धन्नो ने एक नज़र जमुना के घर के दरवाज़े पर डाली ! कहीं कोई दिखाई नहीं दे रहा था !तभी दुबली पतली जमुना दिखाई दी जो अपने घर के दालान में पुरानी खाट पर लेटी हुई थी और बाहर गली की तरफ झांक रही थी !जमुना पेट के बल लेती हुई थी ! दोनों चुचियों को खाट में ही दबाये हुए थी ! तभी गुलाबी की भी नज़र जमुना पर पड़ गई !फिर एक पल उसके घर के दरवाज़े पर रुक कर उसे पुकारती हुई बोली :-"क्या री जामुनिया तेरी माँ कहा हे ?"इतना सुनते ही जमुना उस खाट से उठ कर मानो दौडती हुई सी आ गई !रही हेवो एक सलवार और समीज पहने हुए थी !सीने पर दुपट्टा नहीं राखी थी ! और आते ही आते ही पूछी :-"क्या चाची ...... क्या कहरही हे!"
गुलाबी :-" अरे ये पूछ रही थी तेरी माँ कहाँ गई हे !"जमुना एक पल धन्नो और सावत्री की तरफ देखि और बोली :-" वो गाँव में ही कहीं गई हे ...कहाँ गई हे मुझे नहीं मालूम !"गुलाबी :-" तो तू अभी अकेली हे घर में !"जमुना :-" हाँ ..क्यूँ चाची !"इनदोनो के बीच भले ही बातें हो रही हो पर धन्नो की नज़रे दुबली पतली जमुना के बिना ब्रा के बिना दुपट्टे के छोटे और गोल पर ठोस संतरों पर ही टिकी हुई थी और वो उसकी दोनों चुचियों का नाप तोल कर रही थी !जमुना के इस मासूम सवाल का जबाब देती गुलाबी बोली :-" अरी कुछ नहीं री ..पगली तुझे देखि तो पूछी मेने ...और कोई बात नहीं हे !" फिर ऐसा बोल कर अपने घर की और चलने को हुई की जमुना पूछ बेठी :-" कहाँ से आ रही हो तुम सब लोग !"
गुलाबी :-" ठाकुर साहब के खेत से आ रही हे हम तीनो ....फिर एक पल रुक कर बोली :-" तुझे तो कहती हु ...चल ठाकुर साहब के खेतों में घुमा लाऊं ..पर तुम तो चलती नहीं हो देख तो में ये धन्नो और ये सावत्री सब खेत घूम के आ रहे हे !
जामुन :-"{एक पल के लिए गली के मुहाने की तरफ हुए } वो में चलती पर माँ गुस्साने लगती हे !"
गुलाबी :-" {एक कदम आगे बढ़ कर एकदम फुसफुसाने के अंदाज़ में } वो माँ को क्यों बताएगी ....की में घुमने जा रही हु ....वो तो चिल्लायेगी न ...चल एक दिन ठाकुर साहब का खेत घुमा लाऊं ...बहुत बड़े बड़े खेत हे उनके ...चारों तरफ इतनी हरियाली हे की मत पूछ !"
जमुना :-" वो ठीक हे चाची !" फिर कुछ सोच में पड़ गई उसे सोच में पड़ते देख कर धन्नो भी धीरे से जमुना से बोली :-"हाँ बड़ा अच्छा लगता हे ..ठाकुर साहब का खेत ...में तो उनका खेत देखने इतनी दूर से आती हु ...और तुझे तो यहीं बस कुछ दूर जाना हे ....!"इतनी बात सुनकर जमुना ने एक पल के लिए धन्नो की और देखा फिर गहरी सोच में पड़ गई ! उस गली कही कोई दिखाई नहीं दे रहा था ! फिर गुलाबी बोली :-" चल एक दिन दोपहर में तुझे घुमा लाऊं ....ठाकुर साहब के लहलहाते हुए खेत में ..!जमुना एक पल के लिए चुप रही मानो उसके मन में भी ठाकुर साहब के खेत देखने की इच्छा हो रही थी !फिराप्नी नज़रे जमीन में धंसा कर बोली :-" वो चाची माँ हे ...!"गुलाबी :-" क्या माँ हे ...कुछ कहती हे क्या वो ...मुझे बताओ ...में किसी को नहीं बतौंगी ...बोलो बोलो ..!"फिर जामुनिया ने तीनो को तरफ नज़रे फेरी और बोली ;-" माँ ने कहा हे की कभी भी गुलाबी चाची के साथ ...वो ठाकुर साहब के खेतों की और मत जाना ...!"इतना सुनते ही एक नज़र गुलाबी ने धन्नो पर डाली और अपने माथे पर सिलवटे लाती हुई धीमे से बोली :-" और क्या बोली वो ..क्यूँ नहीं जाना वहां ?"

जमुना :-" ये तो बताया नहीं ...पर ये कहा की ...कभी भी ठाकुर साहब के खेत में उसके साथ वह गई तो टांग तोड़ दूंगी तेरी !"
गुलाबी आगे बोली :-" कब बोली वो ऐसा तुझे !"
जमुना :-"जब में पोखरे पर नहाने जाने लगी ..तब पूछा किसे साथ जाती हे नहाने मेने कहा गुलाबी चाची के साथ !"
गुलाबी :-" फिर !"
जमुना :-" फिर पूछी कभी ठाकुर साहब के खेत पर भी गई हे क्या मेने कहा नहीं तो माँ बोली पोखरे पर नहाने तो जाना पर कभी भी ठाकुर साहब के खेतों में और वह बनी सूनसान कोठरी पर कभी मत जाना !"इतना सुनकर गुलाबी हंसकर बोली :-' अरे तेरी माँ पागल हे ..पागल ..वो भूत प्रेतों से बहुत डरती हे ..!
जमुना :-" {चोंकते हुए } तो क्या चची वह भूत प्रेत रहते हे !"
गुलाबी :-" ना रे ..तेरी माँ डरपोक हे ..डरपोक ...देख हम तीनो वाही से तो आ रही हे कौन सा भूत प्रेत लग गया हमें ..तेरे सामने ही तो खड़ी हे !"

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