जमुना किसी अनाडी की तरह तीनो को देखने लगी ! फिर गुलाबी आगे बोली :-' तू चल एक दिन ठाकुर साहब के खेतों में ..वह एक छोटी सी कोठरी हे ...बड़ा सुन्दर लगता हे री !"इतना सुनकर जमुना बोली ;-" अभी नहीं चाची !"
गुलाबी :-" तो चल किसी को कानो कान खबर नहीं होगी कब चलेगी !" फिर एक नज़र खाली गली को देखते हुए फुसलाते हुए बोली :-"चल कल दोपहर में चलते हे ..चाहे तो तू जब मेरे साथ नहाने चलती हे पोखरे पर उस समय चल देंगे हम सीधे ठाकुर साहब के खेतों की तरफ !"
जमुना :-" ना चाची वो माँ ..मामा के घर जाने वाली हे ..तब !"गुलाबी के कान में ऐसी बात पड़ते ही उसका चेहरा हरा भरा हो गया ! तब गुलाबी टपक से पूछी :-" कब जाएगी री ..तेरी माँ ..मायके !"
जमुना :-"दो दिन बाद जाएगी ..तीसरे दिन सुबह तब चल सकती हु !":
गुलाबी -" बहुत बढ़िया ...पर किसी को भूल कर भी मत बताना की तू मेरे साथ ठाकुर साहब के खेत पर जाने वाली हे ...ठीक ...नहीं तो तेरी माँ जब वापिस आएगी तब जान जाएगी !"गुलाबी एक ही सांस में बोल उठी !फिर जमुना से आगे पूछी :-" और ये बता फिर वो वापिस कब आएगी !"
जमुना :-"वो कोई एक महीने के बाद आएगी !" इतना सुन कर गुलाबी का चेहरा ख़ुशी से चमकने लगा !अपनी ख़ुशी छिपाते हुए बोली :-" तब तो ठीक हे ..में तुम्हे ठाकुर साहब के खेत और उनकी छोटी सी कोठरी सब जगह घुमा दूंगी तुझे !'जमुना :-" चाची ..उस ठाकुर साहब की कोठरी में क्या हे ..केसा हे ..!"
गुलाबी ;-" अरे अब जब तू तीसरे दिन चलेगी तो सब अपनी आँखों से ही देख लेना ....ठाकुर साहब के खेत और उनकी कोठरी भी और सुन किसी को गाँव में किसी को भूल से भी मत बताना की तू ...मेरे साथ ठाकुर साहब के खेत और कोठरी देखने जा रही हे ..समझी !"
जमुना :-" ठीक हे चाची किसी को नही बताउंगी !"इतनी बात कह कर गुलाबी अपने घर की और चल पड़ी पीछे पीछे धन्नो और सावत्री भी चल पड़ी !घर के अन्दर घुसते ही गुलाबी अपने घर के आँगन में खाट पर लेते हुए सुक्खू को देख कर उस से बोली :-" पुरे दिन किसी सांड की तरह सोने से फुर्सत नहीं मिलती .... जब देखो नींद और खर्राटे ...!" फिर तीनो को देख कर सुक्खू भी आँख मलते हुए उठा और उठ कर खाट पर बेठ गया !धन्नो के साथ आई सावत्री की और गौर से देखा और फिर धन्नो से पूछा :-" ये ......ये ...कौन ..हे ?"तब धन्नो सावत्री की पीठ पर हल्का सा थप्पड़ मरते हुए बोली :-" ये मेरे पड़ोस में रहती हे ...सावत्री इसका नाम हे !"सुरती की डिबिया से सुरती निकलते हुए सुक्खू ने गौर से सावत्री को देखा उसकी सुडोल चुचियों पर नज़र दौड़ाते हुए एक अंगुली से सुरती को रगड़ते हुए बोला :-"अच्छा ...सावत्री .... अच्छा लगा देख कर ...आओ बेठो ...आओ खाट पर ..बेठ जाओ ...!" तब गुलाबी खाट पर बैठते हुए सुरती रगड़ते हुए सुक्खू से बोली :-" हाँ ..हाँ ..जवान छोकरी को तो अपनी खाट पर बिठाओगे ही ..और खाट पर ही क्यूँ अपनी गोद में बिठा लो !"फिर गुलाबी के मुह से निकली ऐसी बात पर धन्नो भी हंसने लगी ! गुलाबी के मुह से सामने ही खाट पर बेठे सुक्खू के सामने ऐसी बात सुन कर सावत्री लाज से पानी पानी हो गई ! गुलाबी द्वारा ऐसे मसालेदार मजाक को सुन कर सुक्खू फिर से सावत्री को गौर से देखने लगा वो समझ गया की धन्नो के सामने और सावत्री से जो मजाक गुलाबी कर रही हे इसका मतलब सावत्री भी ऐसे ही खुले मजाक वाली होगी तभी तो गुलाबी ऐसी बात बोल रही हे !फिर सावत्री के ऊपर से नज़रें हटा कर धन्नो की तरफ करते हुए सावत्री के ऊपर रंगीन मजाक करते हुए सुक्खू धीमे से बोला :-" क्यूँ गोद में बेठना ज्यादा पसंद करती हे क्या ?"धन्नो हंस कर बोली :-" गोद में बेठने से भला क्यूँ डरेगी !"तब सुक्खू चुटकी लेते हुए जोश बोला :-" अरे ...तो बेठा दो मेरी गोद में !"तब धन्नो एक नज़र सावत्री की और देखते हुए शरारत भरी आवाज़ में बोली :-' बेठा तो दूंगी पर एक शर्त हे !"सुक्खू ने मस्ती में भरते हुए जोश में हथेली में सुरती रगड़ता रहा और पूछा :-" एक नहीं ..हज़ार शर्त मंजूर हे बोलो !"धन्नो :-" {हँसते हुए } शर्त ये हे ....की गोद में कोई सांप नहीं होना चाहिए तब ये बैठेगी !"इतना कह कर धन्नो हंसने लगी फिर गुलाबी भी हंस पड़ी ! सावत्री ऐसी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और नज़रें झुका कर मानो धन्नो पर गुस्सा कर रही थी !फिर सुक्खू भी मुस्कुरा कर चुप हो गया फिर एक पल सोच कर बोला :-" में क्या गोद में सांप लेकर घूमता हु !" फिर खुद ही हंस पड़ा !
फिर गुलाबी के आँगन में तीनो की हंसी फुट पड़ी सिर्फ सावत्री लाज के मारे चुप रही !फिर गुलाबी बोली :-' हाँ ..सच कही ..बैठेगी गोद में ..पर गोद में कोई सांप छुपा हुआ नहीं होना चाहिए !"तब धन्नो बोली :-' हाँ ..और क्या कही काट लिया इस बेचारी को तो फिर क्या होगा !"इतना कह कर धन्नो ने अपने नज़दीक मुह लटकाए खड़ी सावत्री के गाल को एक हाथ से मसल दिया !तब सावत्री धन्नो की तरफ देखते हुए धीमी आवाज़ में गुस्से से बोली :-" क्या बकती हो चाची ..अब चुप भी हो जाओ !"फिर सुक्खू की और देखते हुए अपनी हंसी रोकती हुई गुलाबी बोली :-" अरे बता भी दो की ये काटने वाला सांप नहीं हे !'गुलाबी की बात पर धन्नो और सुक्खू हंस पड़े और फिर धन्नो बोली :-" तो ऐसा कौनसा सांप हे जो काटता नहीं हे !'तब सुक्खू अपने हथेली पर कस कर सुरती रगड़ता हुआ गुलाबी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला :-" अरे वो सांप काटता नहीं हे बिल में घुसने वाला सांप हे जो ..कही पास में बिल दिखा की साला झट से अन्दर घुस जाये !" फिर एक पल रुक कर सुरती को अपनी ताली से ठोकता हुआ बोल :-" अरे फिर भी गोद में बेठने से अन्दर केसे घुस जायेगा वो तो मेरी लुंगी के अन्दर हे ना फिर केसे घुसेगा !"फिर तीनो हंस पड़ी ! फिर गुलाबी धन्नो की तरफ देखते हुए बोली :-" अरे धन्नो इस सावत्री को गोद में बिठा कर देख ही लो काटता हे या घुसता हे !"धन्नो ने शर्म से लाल हो चुकी खड़ी सावत्री के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली :-" जा ...बेठ जा गोद में ...हम भी तो देखे ....कितना बड़ा सांप हे ...काटता हे या घुसता हे ..!"सावत्री गुस्से से धन्नो का हाथ झटकते हुए गुस्से से बोली :-" धत्त ...जाओ तुम बेठो उस गोद में ...मुझे ऐसी बातें पसंद नहीं हे !"और गुस्से और शर्म से अपना मुह दूसरी तरफ कर लिया !इतना सुन कर सुक्खू बोला :-" अरी ..ये दोनों तो इस गोद में बेठ चुकी हे ...एक तो रोज़ ही बैठती हे ...और ये धन्नो भौजी भी जब आती हे बेठा ही लेता हु में इसे ..".फिर एक पल रुक कर बोला :-" एक तुम ही ..नई हो मेरी गोद के लिए !"फिर तीनो हंस पड़े पर सावत्री एक दम चुपचा लाज से पानी पानी हुई खड़ी रही !
फिर सुरती को हथेली सी ठोकते हुए सुक्खू आगे बोला :-" दोनों के बिल में तो ये सांप कर घुस चूका हे ....तुम्हारा बिल इसके लिए नया हे ...बस आओ और गोद में बेठ भर जाओ सांप खुद ही सरक कर फिर ये अपने आप बिल ढूंढ कर घुस जायेगा और तुम्हे पता भी नहीं चलेगा ....! इतनी बात ख़तम होते ही फिर तीनो हंसने लगे !गुलाबी के घर के इस छोटे से आँगन में हुए इस हंसी मजाक को कोई सुन भी नहीं सकता था इसी कारन वे खुल कर ऐसी बातें कर रहे थे !तब गुलाबी बात में और मसाला डालती हुई बोली :-" खूब कह रहे हो ..सरक जायेगा और पता भी नहीं चलेगा ...!"सुक्खू :-' और क्या में झूठ बोल रहा हु !"गुलाबी तपाक से बोली :-" तुम मर्द तो पैदायशी होते हो ......सरक जायेगा और पता भी नहीं चलेगा .....तुम्हारा इतना बड़ा सांप और इस बेचारी की इतना छोटा बिल ....तुम्हारा मोटा और बड़ा सांप तो बड़े और चौड़े बिल वालो के भी जब घुसता हे तो माथे पर पसीना ला देता हे ...!" गुलाबी की रसदार बैटन को और मसाले दार बने के लिए धन्नो भी बीच में बोल पड़ी :-" हाँ और क्या तुम्हारे सांप का मुह तो चौड़े बिल में भी मुश्किल से घुसता हे और इस छोटे से बिल में घुसेगा ही नहीं और जबरदस्ती घुसा भी दिया तो इस बिल को तो बर्बाद कर देगा !"फिर तीनो हंस पड़े ! फिर सुक्खू ने तेयार हो चुके जर्दे को अपनी ओठ में और फिर बोला :-" घुसने की चिंता तुम क्यों करते हो जब बिल तेयार हो जायेगा तो सांप अपने आप घुस जायेगा !" तब धन्नो बोली ;-" तो केसे संकरे बिल को तेयार करोगे ....की उसमे मोटा सांप भी घुस जाए !"अब जर्दे का हल्का शुरुर सुक्खू पर छा गया और वो बिलकुल फूहड़ से बोल :-" अरी इसकी चुचिया मीज मीज कर लाल कर दूंगा ...इसकी बूर को कस कर दस मिनिट चाटूंगा अपनी जीभ से तो ये खुद ही अपनी गांड उठा उठा कर लंड लंड चिल्लाएगी ..बस किसी दिन आधा घंटा देदो फिर तो इसे लिटा चोद चोद कर लाल कर दूंगा क्या मजाल की ये अपनी बूर ना उछाले भोजी ...बस आधा घंटा ..!" इतनी बात ख़तम होते ही धन्नो और गुलाबी हंसने लगी !धन्नो अपने साड़ी के पल्लू को अपने मुह पर रख कर खूब हंसी और लाज से पत्थर हो चुकी सावत्री को धकेल दी और हँसते हुए बोली :-" ले सुन ले ..क्या कह रहा हे ..आधे घंटे में ..हा हा हा हे हे हे हे हो हो हो !"
गुलाबी भी अपनी हंसी रोकते हुए बोली :-" आधे घंटे में क्या चिल्लाएगी ...जरा फिर से बोल तो ...!"इतना कह कर गुलाबी ने अपनी नज़रे सावत्री की और कर ली ! सुक्खू बोला :-" अरे चिल्ला चिल्ला कर मांगेगी लंड लंड ये चाहिए मुझे लंड !" फिर तीनो हंस पड़े ! सावत्री इनकी बातें सुन कर सन्न रह गई थी वो सोच ही नहीं पा रही थी की इतनी उम्र के ये तीनो इनती गन्दी बातें कर सकते हे साथ ही उसे फिर से धन्नो द्वारा धोखे से दुबारा चुदवाने का डर सताने लगा जैसे पहले ठाकुर साहब से चुद गई थी अब ये नहीं चाहती थी ये अधेड़ भी उसे ठोके अभी भी उसकी बूर में ठाकुर साहब के मूसल लंड से चुदाई का दर्द हो रहा था वो पूरी तरह से संतुस्ट थी अभी उसे ये धींगा मस्ती अच्छी नहीं लगने वाली थी !सावत्री लाज शर्म और डर से मनो मरी जा रही थी ! सुक्खू एक हष्ट पुष्ट पहलवान सरीखा मर्द था और सावत्री के बारे में उसके द्वारा की इतनी गन्दी तरीके से मजाक में की गई बाते उसके मन को अन्दर ही अन्दर सनसना रही थी ! लेकिन बस चुप चाप उनकी बातें सुन रही थी ! फिर धन्नो सावत्री के कंधे हिलाते हुए बोली :-" तू तो कुछ बोल ही नहीं रही हे मानो ... मुह में जीभ ही नहीं हे !"लेकिन सावत्री चुपचाप अपनी नज़रें जैसे तेसे खड़ी रही !धन्नो फिर उसके कंधे हिलाते हुए बोली :-" अरी बोल री ऐसे चुप चाप खड़ी हे मानो किसी ने मुह में मोटा लौडा ठूंस दिया हो !"इस बात पर सावत्री गुस्से से मुह बिचकाते हुए धन्नो से बोली :-" चाची चुप हो जाओ ..ये बातें मुझे पसंद नहीं हे समझी !" इतना बोल कर गुस्से से मुह फूलते हुए वेसे ही वहां खड़ी हो गई !तब धन्नो अपने एक हट को कोहनी से मोड़ कर हवा में लहराते हुए बोली :-" क्या ..तो क्या चाहिए तुझे तू ये मुह लटकाए हुए क्यों खड़ी हे बोल न क्या चाहिए लंड लंड ....लंड चाहिए न तुझे जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तू अपनी बूर को खूब नुचवा , चुदवा फडवा खूब मजे ले .." फिर एक पल रुक कर अपने हाथ को नीचे किया दो अंगुलियो को सटाया फिर उनमे फेलाव कर के उन्हें बूर की शकल दी और दुसरे हाथ की लम्बी अंगुली को अन्दर बाहर करते बोली :-"ये लंड का खेल सबको पसंद हे क्या जवान क्या बुड्ढे और क्या जानवर अब बोलो क्या लोगी लंड लोगी लंड .."फिर उसके दुपट्टे के ऊपर से ही उसकी गोल और भारी चूची को कस के पकड लिया और सुक्खू और गुलाबी के सामने ही मीजने लगी और मुस्कुराते हुए बोली ;-" बोल ...बोलेगी की नहीं ..हरजाई .. नहीं तो अभी तुम्हे सबके सामने ही नंगा कर दूंगी ...!"
अचानक चूची पकड कर मसलने से सावत्री सकपका गई और उसका बदन धन्नो की इस हरकत से सनसना उठा !धन्नो ने बुरी तरह से उसकी चूची को मसल दिया इससे सावत्री के बदन में बिजली दौड़ गई और वो शर्मा गई !गुलाबी भी गौर से देखते हुए हंसने लगी खाट पर बेठा सुक्खू भी धन्नो की इस हरकत को देख कर मुस्कुरा उठा !धन्नो उसकी चूची को उन दोनों के सामने ऐसे कस के पकडे मीज रही थी मानो वो उस गुदाज नारंगी को छोड़ना ही नहीं चाहती हो !धन्नो के इस तरह चूची को हाथ में कसने से सावत्री एक डीएम आवक सी रह गई और दो कदम पीछे हटने चाहिपर पीछे आँगन की दीवार आ जाने से उसकी पीठ आँगन की दीवार से चिपक गई ! धन्नो मानो सावत्री की चूची को थामे ही उसे दीवार की तरफ धकेलते हुए बोली ;-'बोल ...तू बोलेगी की नहीं ....नहीं तो तेरी चूची को उखाड़ दूंगी ऐसे ऐंठ कर !"धन्नो वेसे ही उसकी चूची को कास कर दबाते हुए हंसने लगी !इतना देखते ही गुलाबी ने दौड़ कर अपने छोटे से आंगन से आगे गाँव की पतली गली में खुलने वाले दरवाज़े को बंद कर दिया ताकि उस गली से गुजरने वाला कोई आदमी अन्दर नहीं देख सके !धन्नो ने एक नज़र बंद दरवाज़े की तरफ डाली और फिर उसने सावत्री की चूची को दबा कर निचोड़ना शुरू कर दिया और बोली :-"अब बोल ...हरजाई ...ऐसा ही मुह कर के रखेगी तो ...या कुछ बोलेगी भी ..जब तक नहीं बोलेगी तुझे ऐसे ही दीवार से दबाये रखूंगी और तेरी चुचिया निचोड़ती रहूंगी !सावत्री दर्द से कराह रही थी !उधर गुलाबी और सुक्खू बड़े चाव से हँसते हुए ये नज़ारा देख रहे थे ! सावत्री धन्नो के हाथ को अपनी चूची से हटाने की कोशिश करती हुई रुवांसे मुह से बोली :-" ओह्ह्ह्ह। ....चाची ....चाची छोड़ दो .....दुखत हे .....उह्ह्ह्ह्ह्ह ...!"और इतनी बात ख़तम होते ही अपने मुह को दूसरी और मोड़ ली ! लेकिन धन्नो ने सावत्री के हाथ को झटक कर हटा दिया और दुसरे हाथ से उसके दुपट्टे को खींच कर उतार दिया और नीचे आँगन में फेंक दिया ! एक पल के लिए उसका हाथ सावत्री की चूची से हटा पर फिर से उसने सावत्री की चूची दबोच ली ! फिर वो आगे सावत्री से बोली :-" तू अभी बोल नहीं रही हे .....बोलेगी तब ही तुझे छोडूंगी ..!" तब दर्द से सिस कारते हुए सावत्री लाज से धीमी आवाज़ में फुसफुसाते हुए बोली :-" बोल तो रही हु चाची ....केसे बोलू ....अब और केसे बोलू ....!" तब धन्नो ने उसके चेहरे को दुसरे हाथ से सीधा किया और बोली :-" बोल की अब लजाएगी नहीं ..चल बोल ..!" सावत्री फिर बोली :-" चाची ...उह्ह्ह्ह्ह ....पर पहले इसे छोड़ तो आह्ह्ह्ह ...!" धन्नो फिर उसकी चूची को दबाती जिद करती सी बोली :-" नहीं ...,इ तो इसे ऐसे नहीं छोडूंगी ..पहले बोल तू लाज का नाटक नहीं करेगी ....!" फिर धन्नो आगे बात बढाती हुई बोली :-" हरजाई कहीं की .....ऐसे मुह बना रही हे मानो दूध की धूलि हुई हे .......इसने तो कभी कुछ देखा ही नहीं हे कुछ किया भी नहीं हे ...और हम दोनों छिनाल हे ...हे ना ...!" कहते कहते धन्नो हंस पड़ी !
सावत्री फिर रुवांसे मुह से लाज से धीमे बोली :-" चाची ....मेने कुछ ऐसा कहा तो नहीं ....छोड़ दो ...उह्ह्ह्ह्ह ..!"तब धन्नो बोली :-' तो तू हंसी मजाक से इतना लजा क्यों रही हे ...लजाएगी तो झांट मजा पायेगी .....!" धन्नो की इस बात पर सब हंस पड़े ! फिर धन्नो ने उसकी चूची छोड़ते हुए बोली :-" हरजाई ध्यान रखना ..अब लजाएगी या लाज का नाटक किया तो इस चूची को हाथ से खींच कर तेरी छाती से उखाड़ दूंगी ....समझी !"धन्नो
के हाथ से चूची छूटते ही सावत्री आँगन में गिरे अपने दुपट्टे को उठाने को
झुकी पर धन्नो ने फुर्ती से उसे धकेल कर फिर से दीवार से चिपका दिया और खुद आगे झुक कर उसका दुपट्टा उठा लिया और उसे चारपाई पर बेठे सुक्खू की तरफ फेंक दिया जिसे सुक्खू ने लपक लिया ! ब्रा और समीज में कसी हुई सावत्री की बड़ी बड़ी और गोल गोल चूचियां ऐसे उभर आई थी मानो वो रस से भरी हुई हो और उसकी जवानी जेसे उछल रही हो !सुक्खू आँगन में सावत्री के दुपट्टे को अपनी कलाई में लपेट रहा था उसने अपने नजरे स्त्री की चुचियों पर टिका दी वो उन्हें गौर से देख रहा था !सावत्री ने अपनी कोहनिया मोड़ कर अपनी गोल गोल मोती चुचियो पर रख ली पर उसकी चुचिया हाथो से छुपने लायक नहीं थी !और जेसे ही सावत्री की नज़र उसकी चुचियों को घूरते और होटों पर जीभ फेरते सुक्खू की नज़रों से टकराई वो लाज से सिहर गई और उसने अपनी नजरे झुकाई और अपने हाथों को चुचियों पर रखे रखे ही दीवार की तरफ घूम गई अब उसकी पीठ सुक्खू की तरफ थी !इतना देख कर धन्नो ने शरारती अंदाज में गुस्से से दांत पीसे और बोली :-' अब तू ये क्या कर रही हे री हरजाई ..अब तूने फिर से नाटक शुरू कर दिया तुझे कितनी लाज आएगी ....हरजाई तू नहीं मानेगी .." फिर आगे बोली :-"अब तू गांड दिखा रही हे ...फिर ठीक से दिखा चल तो फिर गांड ही दिखा ...." ऐसा कह कर उसने लपक कर सावत्री की समीज को पकड़ कर कमर की तरफ उठा दिया तो सुक्खू को उसकी नंगी कमर और थोड़ी सलवार की भी झलक मिल गई !पर दुसरे ही पल सावत्री ने धन्नो के हाथ से अपनी समीज को छुड़ा लिया और उसे फिर से नीचा कर लिया !तब धन्नो तमक के शरारत से बोली :-" अच्छा तो तू मुझ से जोर जबरदस्ती करेगी ....अब देखती हु मेरी गांड में कितना दम हे अब में तुझे नंगी करुँगी ..अब बताना अपनी गांड का दम !" और ऐसे कहते कहते अपने साड़ी के पल्लू को अपनी चुचियो से ऊपर से करते हुए अपने कंधे की और ले गई और उसे टाईट करते हुए अपनी कमर में खोस लिया साथ अपनी साडी को भी हल्का से उठाया और उसे भी अपनी कमर में खोस लिया ! फिर गुलाबी की और देखते हुए बोली :-" आजा ...अब तू और में इसकी गांड का दम देखते हे साली को नंगी करेंगे !" गुलाबी ने भी हँसते हुए अपनी साडी को धन्नो की तरह टाईट कर लिया और धन्नो के पास लपक के आ गई सुक्खू चुपचाप मुस्कुराते हुए इन छिनालों की क्रीडा देख रहा था और मस्त हो रहा था और लुंगी के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था !
फिर धन्नो ने गुलाबी की तरफ सावत्री को कोठरी की तरफ ले जाने का अपनी आँखों से इशारा किया तब गुलाबी बोली :-"हाँ ..हाँ ..आज ले चल इसे कोठरी में ..देखती हु साली हम तीनो से कितना लजाएगी ये हरजाई !"फिर जैसे ही धन्नो सावत्री की बांह पकड़ कर उसे कोठरी की और ले जाने लगी सावत्री जो कोठरी में नहीं जाना चाह रही थी अपने पांव जैसे जमीन में धंसा लिए !पर धन्नो अपना पूरा जोर लगा कर धकेलने लगी दूसरी तरफ गुलाबी भी उसकी बांह पकड़ कर कोठरी के दरवाज़े की तरफ खींच रही थी ! सावत्री किसी बलि के बकरे की तरह खींची जा रही थी ! वो गिड गिडाते हुए बोल रही थी :-"च ..चाची ..ये क्या कर रही हो ...चाची छोड़ दो मुझे ....मुझे ऐसा पता होता तो में तेरे साथ ही नहीं आती ...छोडो ..ओह्ह्ह ...नहीं !" और सावत्री अपनी पूरी ताकत लगा रही थी वो उस कोठरी में नहीं जाना चाह रही थी !सावत्री अपने घुटने मोड़ कर आँगन में ही बेठ जाना चाहती थी और दोनों उसकी बान्हे पकड़ कर उसे उठा रही थी !पर सावत्री धाम से वाही बेठ गई अब उन दोनों को उसे खींचने में जोर आ रहा था !गुलाबी उसकी बांह को खींचते हुए बोली :-" चल चल ....कोठरी में वर्ना तुझे घसीटते हुए ले जाउंगी तुझे ...या यही आंगन में ही नंगा कर दूंगी ...अब बता तुझे कोठरी में नंगा होना हे ...या यही ...बता क्या मर्जी हे तेरी ..!गुलाबी ये बोल कर हंसने लगी और धन्नो भी हंसने लगी !सुक्खू भी हँसते हुए ये देख रहा था ! तभी दोनों ने उसकी बाहें छोड़ दी सावत्री ने तुरंत ही अपनी बडी बड़ी मांसल चुचियों को अपने घुटने में दबा लिया और वाही बेठ गई और अपनी दोनों बाँहों से गुटनो को घेर लिया और सर झुक लिया ! पर हंसी ठहाकों के बीच बेठी बेबस सावत्री ने अपनी मांसल चुचियों को गुटनो से छुपा लिया था पर उसके चेहरे पर भी अब लाज के साथ हलकी मुस्कान आ रही थी अपनी इस स्थति को देख कर उसका बदन भी सनसना रहा था !धन्नो ने भी उसकी मुस्कान देख ली थी वो हँसते हुए बोली :-" आज देखती हु तेरी लाज केसे नहीं जाएगी .....अब देखना ..आज तेरे साथ क्या क्या होता हे हरजाई ..आज या तो तू लजाएगी या मजे लेगी .आज तेरी लाज ख़तम करके रहेंगे ....!"तब गुलाबी भी हंस कर बोली :-" आज देखते हे तेरे और हमारे बीच का जो झगडा हे वो पूरा हो कर रहेगा आज तुम्हारी सारी लाज हम हटा कर रहेंगे !" तभी धन्नो फिर से बोली :-' हाँ और क्या ...ये साली इतना लजाती हे की मानो ये तो इज्जत वाली हे और हम छिनाल हरजाई हे !" फिर गुलाबी बोली :-" हा देख जेसे तुझे अपने इज्जत की चिंता हे वेसे मुझे भी हे इस धन्नो को भी हे बस थोड़ी हंसी मजाक कर लेते हे !"
धन्नो :-" और क्या इतने दिनों से हंसी मजाक की बाते समझा रहे हे पर ये साली लाज के कारन उस हंसी मजाक को किनारे कर देती हे !"
गुलाबी :-" और जो हम आपस में जो इतना हंसी मजाक करते हे ये कोई बे इज्जत वाली बात थोड़े ही जो तू समझती हे ..हरजाई इतना कम ज्यादा तो चलता ही हे !"
धन्नो :-" वहीँ तो इसे ना जाने कितने दिन से समझा रही हु पर ये साली ही नहीं हे आज फेसला हो ही जाए आज इसकी सारी लाज निकाल कर रहेंगे !
गुलाबी :-" हाँ आज फेसला हो ही जाये ...ये लजाएगी या अपनी बूर खोल खोल कर दिखाएगी ...!" धन्नो गुलाबी की बात से सहमत होते हुए और उसमे एक शर्त जोड़ते हुए बोली :-" हा ये सही हे या तो ये खुद अपनी बूर को खोल कर हम तीनो को दिखाएगी ...अगर ये लजाएगी तो इसके बूर की पिटाई हम सुक्खू के मुसल लंड से करवाएंगी .. बोलो क्या मजूर हे तुम्हे !"धन्नो और गुलाबी की बात सुनकर जमीन पर बेठी सावत्री ने अपने नजरे दोनों की तरफ बारी बारी से की और फिर शर्म लाज से लाल हो चुके चेहरे पर हलकी मुस्कराहट लाते हुए अपनी नजरे फिर से जमीन में गडा दी !ये देख कर धन्नो बोली :-"अब बोल चुप क्यूँ हे बोलो क्या मंजूर हे तुम्हे ...या तो तुम अपने हाथो से सलवार खोल कर अपनी बूर को हम तीनो को दिखा दो वर्ना हम तुम्हे जबरदस्ती कोठरी में जायेंगे और सुक्खू से चुदवा देंगे ...बोलो क्या मंजूर हे तुम्हे !"तब गुलाबी बोली :-' चलो खोलो सलवार और दिखाओ हम दोनों तो ओरतें हमें तो क्या मतलब तुम्हारी बूर को देखने में तुम सुक्खू को दिखा दो जल्दी से !"
सुक्खू भी इन बातों से खुश होता हुआ बोला :- " हाँ अब हम तीनो में क्या लाज शर्म .....अब मत और अपनी बूर को मुझे दिखा दो जल्दी से हम आपस में को लाज शर्म नहीं रखते चलो दिखाओ !" ऐसा कह कर उसने अपने लंड को लुंगी के ऊपर से ही मसल दिया उसकी लुंगी फूल रही थी नागराज अपना फन उठा रहे थे !तब धन्नो बोली :-" देख हरजाई ..अगर तू मांगी नहीं तो सुक्खू के मोटे लंड से तेरी बूर की पिटाई करवा दूंगी ....या फिर चुपचाप हमें आराम से अपनी बूर दिखा दे !" और फिर दोनों हंस पड़ी !धन्नो की इस बात को सुनकर सावत्री वेसी ही बेठी रही और मुस्कुराते हुए उसने अपनी नजरें जमीन में गडा दी !तब गुलाबी बोली :-' अरे इसकी बूर को लंड से पिटाई करने की जरूरत नहीं हे ये ऐसे ही दिखा देगी !"तब धन्नो बोली :-" नहीं ये हरामजादी ऐसे नहीं मानेगी ..ये इतनी आसानी से मानने वाली नहीं हे इस हरजाई की लंड से पिटाई करवानी ही होगि…!तब सावत्री बोली :-" क्यों सावत्री क्या विचार हे अगर लंड से पीटना नहीं हे तो जल्दी सलवार खोल कर अपनी बूर दिखा दे यहाँ हम तीनो के अलावा कोई नहीं आँगन का दरवाज़ा भी बंद हे ..और कोई नहीं देखेगा ...जरा जल्दी कर !"पर सावत्री वेसे ही अपनी नजरे झुकाए बेठे रही वो हिली भी नहीं न ही उसने अपनी नजरे उठाई !सावत्री नीची नज़रे किये हुए मंद मंद मुस्कुरा रही थी ! उसकी पलके लाज से बोझिल हो रही थी उसका कलेजा धक् धक् कर रहा था उसके शरीर में सनसनाहट हो रही थी उसकी बूर भी गीली हो रही थी उसे लग रहा था भय और शर्म से मानो वो मूत देगी !तब गुलाबी बोली ;-' चल तू यहाँ नहीं दिखा सकती हे ...तो उस कोठरी में दिखा दे !"धन्नो बोली :-" हाँ और क्या एक मिनिट का काम हे और आधे घंटे से हम मिन्नतें कर रहे हे !"
तब गुलाबी बोली :-" चलो फिर कोठरी में वाही दिखा दे !" ऐसा कह कर गुलाबी ने उसकी एक बांह पकड़ी पर उठाना चाही पर सावत्री उससे टस से मस ही नहीं हुई वेसे ही बेठी रही तब धन्नो ने भी उसकी दूसरी बांह पकड़ ली और फिर दोनों ने जोर लगा कर उठाया तो सावत्री उठ गई खड़ी सी हो गई उसकी मांसल और भरी भरकम चुचिया समीज के अन्दर से ही सुक्खू को दिखाई देने लगी वो पुरे उठान पर थी !सुक्खू सावत्री की चुचियों को देख कर एक बार फिर अपने लंड को लुंगी के ऊपर से ही मसल दिया ! लंड में मस्ती की लहर सी दौड़ गई ! फिर धन्नो बोली :-"चल ...कोठरी में ही ....भला वहीँ तो दिखा ...कहीं तो दिखा ....अपने हाथो से अपनी ..बूर खोल के दिखा दे हमें ..!" और सावत्री कुछ रूवांसी आवाज़ में बोली :-"च ..चाची हाथ जोडती हु ...मत परेशान करो मुझे ...!"तब गुलाबी बोली ;-" इसमें परेशां होने की क्या बात हे री ...सिर्फ बूर ही तो दिखानी हे ...चल कोठरी में अपनी सलवार खोल कर बूर दिखा दे ..बस ..इतनी सी बात ....हम तुम्हे कुछ नहीं बोलेंगे .. !" इतनी बात कहते कहते दोनों सावत्री को धकेलते हुए कोठरी में ले आई ! कोठरी की दरवाज़ा आँगन में खुला हुआ था इसी कारन उस छोटी सी कोठरी में बाहर से बहुत प्रकाश आ रहा था !कोठरी में एक चारपाई बिछी थी उस पर एक पुराना सा बिस्तर लगा हुआ था उसके पास ही दीवार के लगा हुआ एक तख्ता रखा हुआ था जिस पर एक कटोरी में तेल रखा हुआ था !उस कटोरी के पास शराब का खाली पोउच पड़ा था उसके पास कुछ बिंदिया और एक दिया सलाई भी पड़ी थी !उस कोठरी के अन्दर एक और दरवाज़ा था जो अन्दर एक और कोठरी में खुलता था पर उस में दिन के वक़्त भी अँधेरा दिख रहा था ! उस चारपाई के पास लाकर दोनों ने सावत्री की बाहें छोड़ दी ! फिर हँसते हुए धन्नो बोली :-" चल अब बता ..बूर दिखाएगी .... या तुझे सुक्खू से चुदवा दू ...!"
गुलाबी बोली :-" अब तू कोठरी में आ गई हे ...अब तू क्यों डर रही हे बूर दिखाने में ....!"
सावत्री फिर भी चुपचाप रही तब धन्नो बोली :-" ये ऐसे नहीं बताएगी ....बुलाओ सुक्खू को ...और इस कटोरी का तेल इसकी बूर में उड़ेल कर इसकी चुदाई करवाओ तब इसकी लाज हटेगी ...हरजाई ...की !"तब गुलाबी बोली:-" अरे तू गलत सोच रही हे ये प्यारी बिटिया ...अब जिद नहीं करेगी ...देखना अभी अपनी सलवार खोल कर अपनी बूर दिखा देगी !"तब सावत्री अपने मुह को लटकाए कुछ रूवांसी और कुछ लाज भरे अंदाज में बोली :-" अरे चाची ..क्या बताउ !"तब गुलाबी बोली :-" अरे इसमें बताने वाली क्या बात हे ...जल्दी से सलवार खोलो और अपनी बूर दिखा दो ..बस !"फिर अटकती सी सावत्री बोली :-" ..लेकिन ...चाची !" तब धन्नो बोली :-' अरे में तो कहती हु चुदवा दो ..इस हरजाई को ..ये ऐसे नहीं मानेगी !"फिर गुलाबी बोली :-" नहीं ...ये बूर दिखाएगी खूब आराम से दिखाएगी ...क्यों सावत्री !" फिर सावत्री कुछ देर के लिए चुप रही !फिर गुलाबी बोली ;-' देख ये गलत नहीं होता हे री ...ये आपस में रजामंदी वाली बात हे तू मान जा हमारी बात !" ये कह कर सावत्री के बगल में खड़ी गुलाबी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे समझाने के अंदाज़ में बोली :-"और रजामंदी हो तो कोई गलत बात नहीं हे दुनिया परदे की आड़ में जाने क्या क्या करती हे ...तू मान जा ...तू अभी अनाडी हे जो इतना लजाती और शर्माती हे ...!"फिर बात आगे बढ़ाते हुए सावत्री के कान में बोली :-"जैसी दुनिया तूने देखि हे ये ..वेसी ना हे ..दुनिया की सच्चाई जानेगी ..तो तुझे यकीन ही नहीं होगा !" सावत्री चुपचाप चेहरा लटकाए उसकी बात सुन रही थी ! धन्नो भी बगल में खड़ी थी बस सुक्खू ही बाहर चारपाई पर बेठा अन्दर की शरारतें भांपने की कोशिश कर रहा था !फिर गुलाबी आगे उसके कान के पास धीमी आवाज़ में बोली ;-' अब मुझे ही देख ले ...में भी शादीसुदा हु ......मेरा पति जिन्दा हे ....ठाकुर साहब भी किसी ओरत के पति हे ...किसी के बाप ...उनके भी रिश्तेदार हे ...उनकी भी बड़ी इज्जत हे पर तू देखि ना हम दोनों कितने मज़े लेते हे ...वो रोज़ मेरे मजे लेते हे ..जेसे आज उन्होंने तेरे मजे लिए हे ...सब रजामंदी की बात हे ...!"गिर गुलाबी उसी अंदाज़ में आगे बोली :-" देख इज्जत सबकी होती हे ....पर ये जो लंड बूर के मजे हे ना वो बहुत अनमोल हे ....इस खेल में अपनी थोड़ी इज्जत तो बर्बाद करनी ही पड़ती हे ....या ये कहो की लंड बूर के खेल का मजा लेने के लिए थोड़ी बहुत इज्जत तो ख़राब करनी ही पड़ती हे ...!" फिर आगे बोली :-" मुझे ही देख ले ...मेरा पति भी हे .....और ये जो मेरे आंगन में सांड जैसा मर्द बता हे ना ...वेसे मेरा वो कुछ नहीं लगता ..सारा गाँव जानता हे की में सुक्खू को घर में रखती हु ...तो क्या फर्क पड़ता हे री .....!" फिर आगे बोली :-' गाँव वालो को जो कहना हे कहे ...मेरे क्या फर्क पड़ता हे !"फिर धन्नो बोली :-"कहने वाले तो कहेंगे ....उनकी बात पर क्या ध्यान देना ......उनकी बातो से डरेगी तो कुछ भी मजा नहीं लूट सकेगी ...निडर बन ...निर्लज बन ...और खूब मजे कर ....तब लंड के खेल का मजा आयेगा !"
फिर गुलाबी आगे बोली :-' तू वह देखि ना में ठाकुर साहब के लंड पर तेल लगा रही थी ....और यहाँ मेरे घर पर एक और मर्द रात दिन घुसा रहता हे मुझे मच्काने को ...मेरा जब जी करता हे इसी चारपाई पर अपनी बूर खोल कर इस सांड से चुदवा लेती हु ...और देख ले हमेशा इस कटोरी में तेल भरा रहता हे ...जब मन होता हे बूर को तेल से चुपड कर इसका मूसल घुसवा लेती हु ..जो बाहर आनगन में बेठे वो तेरे सुक्खू चाचा लगते हे ...उनसे क्या शर्माना ...!फिर बात आगे बढ़ाते हुए बोली :-" मुझे कोई डर लाज नहीं , कोई इज्जत बेइज्जत का सोच नहीं ..गाँव में जो चर्चा चलती हे की में सुक्खू को रखती हु .....मुझे कोई परवाह नहीं ...चर्चा चलती रहे ...तू मानेगी नहीं इसी खात पर जब तेरे सुक्खू चाचा इस कटोरी से मेरी बूर में तेल लगा कर और शराब पी कर चोदते हे ...तो मेरी बूर की नसे लहरा जाती हे जेसे कोई समुन्द्र की लहरे हो ......बड़ा मजा आता हे री ..पर में इस मजे के लिए वो बेईजति सहने के लिए तेयार हु की गाँव में चर्चा चले तो चले की में सुक्खू को घर में रखती हु ....में सुक्खू से फंसी हु ये चर्चा चले तो चले ..में जानती हु गाँव वाले बस मुह से कह सकते हे ..कुछ नहीं कर सकते ...और तेरे सुक्खू चाचा अपने मुह से कुछ कहे या ना कहे पर जब वो इसी खाट पर अपने हाथी जेसे विशाल लंड से मुझे लिटा कर मेरी बूर को तेल से चुपड़ कर ...और हुमच हुमच जब मुझे चोदते हे तो में अपनी गाँव भर की बदनामी भूल जाती हु और खूब मजे लेती हु ....ये ही जिंदगी का असली मजा हे ....!" धन्नो जो सावत्री के चेहरे को देख रही थी सावत्री के चेहरे की तरफ आई और अपनी बूर को साडी के ऊपर से ही जोर जोर से सहला कर बोली :-" सुन री में तुझे एक कहावत सुनाती हु ...सुन ....गुलाबी के इस अश्लील गीत को धन्नो के साथ सावत्री भी गौर से सुन रही थी और उसकी बूर में भी अब सनसनाहट होने लग गई थी !इतनी बात ख़तम होते होते सभी एक साथ हंस पड़े !सावत्री इतनी अश्लील शब्दों को सुनते सुनते एकदम लाज से पानी पानी हो चुकी थी !लेकिन उसकी बूर में भी अब गर्मी उठने लगी थी वो पनिया रही थी उसे भी मज़ा आ रहा था !तब गुलाबी आगे बोली :-' देखि ना ...जब शादी के बाद कोई दुल्हन अपने ससुराल जाती हे तो केसे रहना पड़ता हे ....एक दम मनो जेल की तरह ...वहां ऐसे लंड हरदम नहीं मिलते हे ..!"फिर गुलाबी आगे बोली :-" ये सब तुझे इसलिए सुना रही हु की ..जब तेरी शादी हो जाएगी ...तो तुझे इतनी आज़ादी नहीं मिलेगी की जहा घूम आये ....मजा लेले ....या चुदवा आये ....समझी ..!" तब धन्नो बोली :-"हाँ ..और क्या ..में तो इस हरजाई को यही समझती हु जब तक तेरे पास आजादी हे तब तक जो भी मिले जवान ...बुड्ढा ....शराबी ..कबाबी जो भी मिले सबसे चुदवा लिया कर हा हा हा हे हे ..!"धन्नो और गुलाबी दोनों हंस पड़ी पर सावत्री कुछ नहीं बोली लाज से अपने सर को नीचे झुकाए रही !
तब गुलाबी बोली :-" अरे इतनी म्हणत के बाद भी तो ऐसे ही लजा रही हे .....मानो तू इज्जत वाली हे और हम बेइज्जत ..इतना सुनने के बाद भी लजाएगी ..ये तो सरासर तेरी बेईमानी हे ...!" सावत्री उसकी बात कुछ समझ पति की धन्नो बोल उठी :-" अरे ...हाँ और क्या ..ये हरजाई ऐसे लाज नहीं छोड़ेगी ....बुलाओ बहार बेठे अपने सुक्खू को ...बुलाओ तो जरा फिर बताती हु ...साली को ...!" इतना सुनते ही तुरंत गुलाबी कोठरी के अन्दर से ही आवाज़ लगाते हुए बोली :-" अरे ...सुनो तो ...जरा इधर आना !" गुलाबी की आवाज़ सुनते ही लम्बा चोडा सुक्खू तुरंत अपने विशाल डील डोल और वासना भरी नज़रों के साथ हाज़िर हो गया और कोठरी के अन्दर सावत्री को घूरने लगा !ये देख कर सावत्री अपने सर की झुका कर खाट पर बेठ गई और धन्नो और गुलाबी मुस्कुरा रही थी !तभी गुलाबी बोली :-" हाँ ...अब सब मेरा भी फैसला सुन लो ...आज यहाँ हम तीनो और सावत्री के अलावा कोई नहीं हे ....और आज इस कोठरी में में और धन्नो जो करेगी वो सावत्री को भी करना पड़ेगा ...!" सावत्री ऐसे बात को सुनकर अचंभित नज़रों से एक बार सामने खड़ी गुलाबी और धन्नो की तरफ देखि और फिर सहम सी गई !तब धन्नो बोली :-' क्या करना हे ...में तेयार हु !" फिर धन्नो हंसने लगी !तब गुलाबी ने एक हाथ से पास खड़े सुक्खू की बांह पकड़ कर कहा :-" देख ये हे मर्द ...तू तो जानती हे ये मेरा मर्द नहीं हे ...जो हे वो कोई छुपा नहीं हे ....ना तुमसे न दुनिया से !" इतनी बात कहते कहते गुलाबी हंस पड़ी !फिर धन्नो और सुक्खू भी हंस पड़े फिर गुलाबी अपनी हंसी पर काबू पाते हुए बोली :-"आज इस कोठरी में इसे अपनी दिखाउंगी ...फिर धन्नो तुम दिखाओगी ...फिर सावत्री को दिखाना पड़ेगा ....हम तीनो इसे बारी बारी से सब दिखाएंगी ....बोलो राजी हो न सब लोग !" तब धन्नो हंस पड़ी और बोली :-' अरे क्या दिखाना हे ...कुछ बताओगी भी ...!"तब गुलाबी सुक्खू का हाथ छोड़ते हुए धन्नो की तरफ आँखे तरेरते हुए बोली :-" अरे हरजाई ..कोई घुंघट की दुल्हन थोड़ी दिखाना हे ...अपना सामान दिखाना हे ..ताकि पता चले की कौन लाज रखती हे और कौन नहीं ..!"
तब धन्नो मानो जानबूझकर शरारती अंदाज में बोली :-" अरे केसा सामान ....कोनसा सामान ...उसका कुछ नाम तो होगा !"तब गुलाबी एक झटके से अपने हाथ में धन्नो की बूर को थमने की कोशिश की पर धन्नो ने अपनी कमर को पीछे कर लिया तब गुलाबी धन्नो की बूर को साडी के ऊपर से ही पकड़ नहीं पाई तब अपनी एक अंगुली से धन्नो की साडी के ऊपर से बूर खोदते हुए बोली :-" ये बूर .....ये बूर दिखाना हे ...!समझी !" गुलाबी के मुह से बूर दिखने की बात सुनकर एक बार फिर सावत्री पानी पानी हो गई !तब धन्नो बोली में तो तेयार हु दिखने को इतना बोल कर धन्नो की नज़रे सावत्री पर टिक गई !
तब गुलाबी बोली :-" जब तू तेयार हे ... में तेयार हु ... तो इस लाजो रानी को भी तेयार करो ...की ये भी अपनी बूर दिखने के लिए हाँ भरे और अपनी बूर दिखाए ... !" तब धन्नो बोली :-" रे सावत्री ...तू भी तेयार हे ना अपनी बूर दिखने को ...बोल ..!इस सवाल को सुनकर सावत्री ने अपने सर को और झुक लिया और जस की तस बेठी रही !तब गुलाबी बोली :-" देख धन्नो ये धोखा हे ...बेईमानी हे ...जब हम दोनों तेयार हे फिर भी ये लाजो रानी बनी बेठी हे ..." फिर आगे बोली :-"तो इसका ये मतलब हुआ की हम दोनों की कोई इज्जत नहीं ...हम दोनों छिनाल हे ...हरजाई हे ....चुदक्कड हे ...और ये अकेली लाजो रानी हे ..क्यूँ !"तब धन्नो बोली :-' केसे तू बोल रही हे की हमारी इज्जत नहीं हे .....कोण बेइज्जत हे ...और यहाँ ये भी सुन ले हम चुदक्कड हे तो ये भी कोई दूध की धूलि हुई नहीं हे ..ये भी पूरी छिनाल हे .!" इतनी बात सुनकर सावत्री और सहम गई !फिर धन्नो बोली ;-' अरे तो हम कोई पुरे गाँव के बीच तो नंगी नहीं हो रही हु .....सरे गाँव से तो चुद्वाती नहीं हु ...हाँ जो कोई मुझे पठाता हे उससे ही तो चुदती हु ...ये तो साडी दुनिया करती हे बोलो कोई में गलत बोली !"तब गुलाबी बोली ;-' अरे इसमें क्या गलत हे री ...जिससे मन करे उससे चुदवा ले ...कोई रंडी का पेशा थोड़े ही हम कोई करते हे ...और छिनाल चुदक्कड बन भी गई तो ...तो जिसकी गांड में दम हो वो आ जाये हम भी कई लंड का मजा लुटे ..और उसे भी कई चूतें मिल जाये !"तब धन्नो हंस पड़ी और आगे बोली :-" हाँ ठीक ही कहती हे ..तू जिसकी गांड में दम हो वो घूम घूम कर चाहे जहा चुद्वाए और नए लंड का मजा लुटे !"गुलाबी तब तुनक कर बोली :-' और क्या ..बिना बदनामी के लंड का मजा कहाँ मिलने वाला हे ...लंड खाना हे तो थोड़ी बदनामी और थोडा बेशरम तो बनना ही पड़ेगा न ..कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही पड़ता हे .....अरे एक बार ओरत बदनाम हुई नहीं की लंडों की बहार आ जाती हे घर में लंड बाहर में लंड , पड़ोस में लंड नेहर में लंड ससुराल में लंड में लंड बाजार में लंड वो आगे आगे और लंड उसके पीछे पीछे घूमते हे जहा जाएगी वह मर्द अपने लंड लेकर खड़े रहेंगे की पेटी कोट उठाओ और लंड घुस जाये !" गुलाबी अपनी बात को आगे बढाती बोली :-'इसी लिए तो कहती हु की लंड कमज लेना हे तो लाज को ऐसे धो डाल ..जेसे कोई अपने सरीर से मेल को धोता हे .......बस एक बार लाज को धो देगी तो समझ की कभी एक लंड को नहीं तरसेगी तेरे सामने लंडों की भरमार हो जाएगी .....किसिम किसिम के मर्दों से दोस्ती हो जाएगी ..तू नेहर में रह या ससुराल में तेरी धाक् सब पर रहेगी समझी .....पुरे धाक से जिन्दगी जीऔर मजे लूट !"
तब धन्नो सावत्री को समझाते हुए बोली ;-" हाँ और क्या ...अरे हरजाई ..तू एक बार लाज को उतर कर देख तेरी जिंदगी ही बदल जाएगी ..क्या ससुराल क्या नेहर हर जगह तेरी पूछ होगी ...हर जगह तेरे ऊपर मर्दों की नजर होगी ....और खास कर गुंडा बदमाश के ...बस किसी एक गुंडा बदमाश से फंस कर चुद गई तो फिर मर्द भरतार की तो बात छोडो सास ससुर ननद जेठ की भी हिम्मत नहीं होगी की तुझसे नजर मिला कर बात करे ....चूत के दीवाने गुंडे आवरे बस चूत देखते हे ...और कोई उनकी राह में कोई रोड़ा बने तो उसकी गांड मरने में भी देर नहीं करते हे ....ये घर परिवार वाले सभी जानते हे चाहे ससुर हो या सास , जेठ हो या जिठानी ..किसी की हिम्मत नहीं होगी की कोई तुझसे नजर मिलाये या तुझे परेशां करे ...समझी !" धन्नो की बात ख़तम होते ही गुलाबी बोल पड़ी :-" अरे इतनी देर हो गई तुम्हे समझाते ...तू अपनी बूर दिखा रही हे या नहीं ...!" ये बोलते बोलते धन्नो और गुलाबी के साथ सुक्खू की भी नजरे सावत्री के चेहरे पर टिक गई !लेकिन सावत्री अपनी लाज से भरी नजरे झुकाए वेसे ही बेठी रही !ये बात और थी की उसकी बूर गरम हो कर हलकी सी लिसलिसा चुकी थी !ये सावत्री भी महसूस कर रही थी पर वो आज तक उसने किसी को अपनी सलवार और चड्डी अपने हाथो से खोल कर बूर नहीं दिखाई थी !ऐसे किसी को अपनी चूत दिखाना उसे कठिन लग रहा था ! आत्मविश्वास से भरी धन्नो और गुलाबी के समझाने का असर उस पर कुछ जरूर हुआ था पर इतना नहीं की बेशर्मो की तरह वो खुद ही नंगी हो जाये !ये सब सोच कर सावत्री का कलेजा काफी तेज धड़क रहा था पर सावत्री की चुप्पी देख कर धन्नो फिर आगे बोली ;-'अरे तेरे मुह में क्या कटहल का रस लग गया हे क्या जो तेरा जबाब नहीं आ रहा हे ....बोल की तू अपनी बूर दिखाती हे या नहीं ....!" इतनी बात सुनकर सावत्री ने एक नज़र दह्न्नो की तरफ देखा और फिर से उसने अपनी नजरे झुक ली !गुलाबी कुछ बोलती उससे पहले ही धन्नो ने एक नजर अपने पास खड़े सुक्खू की तरफ देखि और गुस्से से बोली :-"तू कोनसी लाजो रानी
बन रही हे ...अब बोल बूर दिखाती हे या नहीं ...!" धन्नो को गुस्से में
सावत्री को डांटते देख कर गुलाबी बोली :-" अरे तू गुस्सा क्यों हो रही हे ...वो दिखाएगी ...खुद अपने हाथ से सलवार खोल कर अपनी बूर दिखाएगी ....अरे ...पहले तू तो अपनी बूर दिखा !"
इतनी बात सुनते ही धन्नो तुरंत सुक्खू की तरफ मुह करते बोली :-"अरे ...मेरी बूर कौनसी किसी नइ दुलहन की बूर हे जो ये तेरा यार नहीं देखा हे ...ले फिर दिखा देती हु ... देख लो मेरी बूर ...!" और दुसरे ही पल धन्नो झुकी और अपनी साडी और पेटीकोट को एक साथ ही उठा कर अपनी कमर के ऊपर कर लिया और अपनी झांटों से भरी हुई गुदाज बूर सुक्खू को दिखाते हुए सावत्री से बोली :-"ले देख ...में केसे सुक्खू को अपनी बूर दिखा रही हु !" ये सुनते ही सावत्री की नजरे धन्नो पर गई तो देखा की उसने अपनी साडी और पेटीकोट कमर से ऊपर उठा रखा हे और उसके झांगों के बीच झांटों से भरी हुई नंगी बूर चमक रही हे और सुक्खू उसे मुस्कुराते हुए देख रहा हे और उसका हाथ लुंगी के ऊपर से ही अपने लंड को सहला रहा हे !सावत्री इतना देख कर लाज से एकदम लाल हो गई ! उसका कलेजा धक् धक् करने लगा ! पर उसी समय सावत्री को लगा की उसकी बूर में एक अजीब तरह की टीस सी उठी हे और बूर के अन्दर जेसे चींटिया रेंगने लगी हो और उसकी मस्ती से उसका बदन
गनगना गया ! दुसरे ही पल धन्नो ने अपनी साडी और पेटीकोट को नीचे छोड़ दिया और गुलाबी से बोली :-" अरे तो ले अब तू ही अपनी बूर दिखा दे ..!" और दुसरे ही पल गुलाबी सुक्खू के सामने खड़ी होकर धन्नो की तरह अपनी साडी और पेटीकोट उठा कर अपनी बूर दिखाती हुई बोली :-"अरे ....इसे तो ये रोज चोदता हे ....आआआह्ह ...इसे देखने से इसे कोई नया मजा थोड़े ही मिलेगा ...फिर भी लो देख लो मेरी बूर !"तब धन्नो बोली ;-" वो तो ठीक हे ...पर इस हरजाई को तो पता चले की हम आपस में कितना खुले हुए हे .....अब ये तो दिखाए अपनी बूर ...!" इतना सुनकर गुलाबी ने भी अपना पेटीकोट और साडी निचे कर ली और बोली :-" ये क्यों नहीं दिखाएगी ..जब हम दोनों ने भी अपनी बूर दिखा दी हे तो ...चल अब तू भी दिखा अपनी बूर ...! इतनी बात बोल कर गुलाबी सावत्री की तरफ बढ़ी और खाट पर सर र्झुकाए बेठी सावत्री की एक बांह पकड़ कर उसे खड़ी करने लगी !लेकिन सावत्री उस गुलाबी से नहीं उठी और अपने सर को झुकाए ही बेठी रही गुलाबी फिर बोली ;-' अरे अब कहे का लाज ...हरजाई खड़ी हो कर अपनी बूर दिखा !"तब सुक्खू बोला :-"चलो ...इसकी बूर दिखने से पहले में अपने लंड को भी दिखा देता हे ...लो इसे देखो !" इतना बोल कर सुक्खू अपनी लुंगी के किनारे से लंड और आंडे बाहर निकाल कर दिखाने लगा !सावत्री की नजरे अनायास ही सुक्खू के लंड पर पड़ी जो अभी खड़ा नहीं था पर बहुत तगड़ा और बड़ा लग रहा था !सुक्खू लुंगी में चड्डी नहीं पहने था ! सावत्री ने देखा की सुक्खू के लंड और आंडे लुंगी से बाहर लटक रहे थे !सावत्री की गरम हो चुकी बूर में मानो आग लग गई ! उसकी बूर में पानी छूटने लगा जो उसकी बूर की दीवारों को गीला कर रहा था और कुछ उसकी चड्डी पर भी लग रहा था ! लाज और शर्म के मरे सावत्री ने अपनी नजरे सुक्खू के लंड से हटा कर दूसरी और कर ली !तब धन्नो ने सावत्री के पास खड़ी हो कर उसकी सलवार के नाड़े को पकड़ा तो सावत्री ने तुरंत उसके हाथ से अपनी सलवार का नाडा छुड़ाना चाहा की गुलाबी ने सावत्री के हाथ को पकड़ कर कस लिया !दुसरे ही पल धन्नो के हाथों सावत्री की सलवार के नाड़े को खोल दिया ! सलवार कमर में ढीली हो गई और धन्नो ने नीचे झुकते हुए सलवार को पकड़ कर नीचे गिराना चाही !सलवार उसकी जाँघों पर आकर अटक गई अब सावत्री की झांटों के साथ भरी हुई बूर उसकी चड्डी में उभरी हुई नजर आ रही थी !
सुक्खू सावत्री की बूर चड्डी के ऊपर से ही देख कर एकदम मस्त हो गया ! दुसरे ही पल धन्नो सावत्री की चड्डी को नीचे सरकाने लगी तो सावत्री इधर उधर कसमसाते हुए बोली :-" न ..नहीं ..च ..चाची ....नहीं ...!" वो इतना ही बोल पाई की धन्नो ने उसकी चड्डी को अपने हाथ से नीचे सरका दी जो उसकी बूर और कूल्हों से नीचे उतरते हुए उसकी झांघों के बीच फंस गई और सावत्री की घनी झांटों से भरी हुई गदराई गुदाज बूर एकदम नंगी हो गई !जेसे
ही चड्डी सरक कर झांघों में फंसी सावत्री की गुदाज बूर नंगी हो गई ! उसे
झांटों में ढकी देख कर धन्नो बोली :-" अरे ये तो ऐसे ही खुद बालों से ही ढकी हुई हे ..रे ...चड्डी पहनने की क्या जरूरत ...झांट तो इतनी गहनी हे की किसी को खोजना पद जाये तो ऐसे लगे की कोई जंगल में किसी गुफा को ढूंढता हे ....कितनी घनी ओर लदी हुई हे झांटों से इसकी बूर ...हे हे हे हे !"ये सुनकर गुलाबी सुक्खू की तरफ देखते हुए बोली :-" अरे खोजने का काम तो सुक्खू का हे ...ये काम तो सुक्खू बाबु को देदो ..ये ही खोजे की बूर कहा छुपी हुई हे ...उसकी गुफा कहा हे ..हे हे हे हे !" इतनी बात सुनते ही सुक्खू चहक कर बोल :-" अरे ..में तो अभी ढूंढ लूँगा की गुफा कहाँ हे ...खोजने से क्या नहीं मिलता ...पर जिसका जंगल हे उसे तो पता हे न की गुफा कहा हे ...!"इतना सुन कर गुलाबी बोली :-" मानो वो नहीं बताई तो ... तो क्या करोगे ....!"तब धन्नो बोली :-' तो कोई करेगा क्या ..गुफा खुद ही खोज लेगा और क्या !"तब धन्नो उसकी चड्डी को झांगों से नीचे सरकाना चाहा की सावत्री अपनी पूरी ताकत से गुलाबी से हाथ छुड़ा कर धन्नो का हाथ अपनी चड्डी से हटाना चाहा पर गुलाबी उसे कस कर पकडे रही और धन्नो ने मौका हे उसकी चड्डी और सलवार उसकी टांगों के नीचे गिर दी !सावत्री की छटफटाहट को देख कर धन्नो की हंसी निकल रही थी पर वो अपनी हंसी को रोकते हुए बोली :-" अरे ..हट ..हरजाई क्यों उछल रही हे ....तू लाज कहे कर रही हे तेरी अमानत तो तेरे झांटों के जंगल ने वेसे भी छिपा रखा हेतू नंगी घुमे तो भी तेरी इज्जत कोई देख नहीं पाए ....देख कितना जंगल उग रही हे मानो दुनिया के सारे हज्जाम मर चुके हे ...हे हे हे .. !"इतना कह कर धन्नो अपनी अंगुली सावत्री की झांटों में धंसा कर जेसे कंघी करने लगी ! सावत्री लाज के मारे जेसे जमीन में घुस जाये ऐसा लग रहा था और उसने अपने हाथ को गुलाबी से छुड़ा लिया और धन्नो के हाथ को अपनी बूर से हटा दिया और बोली ;-" छी ...चाची ...अब में कभी नहीं आउंगी घुमने ....तेरे साथ पर ये हे ........आज बड़ी गलती हुई मुझ से ....तुम बहुत गन्दी हो !" गुलाबी ये सुनकर बोली :-" हाँ हाँ ...अब धन्नो चाची गन्दी हो गई ...रंडी हो गई ..अरे ...पहले लंड का स्वाद तो लेना सीख ....फिर देखना इस गन्दी धन्नो चाची के साथ रहकर कितना मजा पाति हे ....!"ये सुनकर धन्नो बोली ;-" हाँ तू सही कहती हे ..इस हरजाई को कितना समझाती हु ....की लंड की कीमत समझ ...पर इसे तो पागल कुत्ते ने काटा हे जो झांट जलाने वाली बात करती रहती हे ...अब उधर देखो शेर शिकार करने के लिए तेयार हो रहा हे तो ...ये अपनी गांड लेकर भाग रही हे साली ....!" इतना बोल कर धन्नो ने सुक्खू के लंड की और इशारा कर दिया !सुक्खू समझ गया की धन्नो ने उसके लंड को ही शेर बोला हे !
फिर सुक्खू अपने लंड को लुंगी के ऊपर से मसल कर बोला :-" स ..सावत्री ..तू डर मत ...शेर कोई शिकार नहीं करेगा ......बिलकुल फिकर मर कर ...बस शेर थोडा तेरे जंगल की गुफा में आराम करेगा !"गुलाबी हंस के :बोली -" हाँ ..और क्या शेर को तो गुफा आराम करने के लिए चाही ...पर जंगल इतना घन हे की शेर को गुफा ढूँढने में पसीने छुट जायेंगे हे हे हे ...!"
तब धन्नो बोली :-"शेर को खुद ही गुफा खोज लेने दो !"तब गुलाबी बोली :-" अरे ...लेकिन ये शेर हे कहाँ ...मुझे तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहा हे !"इतना सुनते ही सुक्खू ने अपने लुंगी की किनारों से फिर से लंड को बाहर निकाला जो काफी मोटा काला लंड था जो आधा खड़ा हो गया था और बोला :-" लो देखो सब लोग ये रहा शेर जो सावत्री की गुफा में आराम करेगा !"इतना बोलते ही तीनो की नजरे उसके लंड पट टिक गई जिसे देख कर धन्नो और गुलाबी तो हंस पड़ी पर सावत्री उसकी लम्बाई मोटाई देख कर सिहर गई और लाज के मारे नजर झुक ली और तुरंत नीचे झुक कर अपनी चड्डी ऊपर खींचने की कोशिश की पर धन्नो ये बात ताड़ गई और उसने सावत्री को दूर धकेल दिया और उसकी टांगो से सलवार और चड्डी को उठा कर दूर फेंक कर एक दम गुस्से
से सावत्री को डांटते हुए दांत पीस कर बोली :-"हट हट री रंडी ... साली
रंडी ...रंडी माँ की रंडी बेटी ...मानती ही नहीं हे छिनाल ...ऐसा लगता हे मानो तेरे पास ही भोसड़ा और इज्जत हे ... हम सब तो बिना भोसड़े की और बिना इज्जत की हे ...कुतिया कहीं की साली की माँ पुरे गाँव में गांड मराती फिरती हे और ...शरीफ बनती हे मुझे रंडी कहती हे ....में उसकी बेटी को गाँव की सबसे बड़ी रंडी बना कर रहूंगी तब मेरा कलेजा ठंडा होगा ...गाँव के हर मर्द बुड्ढ़े ,,,आवारा से चुदवाउंगी साली के ऊपर गाँव का कुत्ता भी चढवा दूंगी अबकी बार ऐसा कुछ किया तो .!फिर आँखें तरेरती हु धन्नो :आगे बोली :-" आज तेरी बूर ना चुदवा दी इस खड़े लंड से तो कहना .....मादरचोद रंडी की बूर फट जानी चाहिए आज ...साली रंडी की ओलाद रंडी ही होती हे ...साली की माँ भी रंडी हे ...ये बेटी भी बड़ी रंडी बनेगी ...चल दूर फेंक सलवार और चड्डी को हट यहाँ से !"और धन्नो ने उसकी सलवार और चड्डी को लावारिसो की तरह कोठरी के आँगन दूर दूर फेंक दिया !आज पहली बार सावत्री धन्नो का गुस्से वाला रूप देख रही थी इसलिए वो डर के मारे चुप हो गई और सिमट कर खड़ी रही और अपने नजरे जमीन में टिका दी !तब गुलाबी सावत्री को थोडा खुश करते हुए हुए धन्नो से बोली :-" तू तो एकदम आग बबूला हो जाती हे ...बिटिया को इतना क्यों डांटा ....धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगी ...अभी नई हे बेचारी तू तो एक दिन में ही बड़ी छिनाल रंडी बनाना चाह रही हे ...धीरे धीरे बेशरम होगी ना ...अरे इस सुक्खू के शेर को देख कर अच्छे अच्छे की हालत ख़राब हो जाती हे ....ये तो पहली बार देख रही हे ...तेरी मेरी गांड भी फट जाती हे अभी भी ये तो पहली बार देख रही बेचारी !"
तब धन्नो बोली :-" गुस्सा ना करू तो क्या करू ....इस उम्र की लडकिय लंड के लिए क्या क्या नहीं करती हे ..और इस हरजाई को हाथ में ले कर लंड दे रही हु तो ये शर्मा रही हे ....सच कह रही हु जब लंड लेने का मन हो तो नाटक मत किया कर इस तरह ..लंड की बहार बस कुछ दिन ही रहेगी .....शादी के बाद जब दुल्हन बनकर घर में कैद रहेगी ना तो ये सब सपना ही होगा वाही का छोटे केले जेसा लंड मिलेगा जब तक ससुराल में किसी पठा नहीं लेगी .उस वक़्त याद करना की धन्नो चाची के साथ घूम घूम कर कितने लंड का मजा लूटी थी कितने बड़े बड़े और मोटे मोटे केले खाए थे .!"तब गुलाबी बोली :-"हाँ री तू अब मजे लूट ...हम से डरने की कोई बात नहीं हे ....तू मजे लूट ...देख तेरे मजे के लिए हम इसका मजा नहीं ले रहे हे आज त्याग कर रहे हे तेरे लिए वर्ना इस मूसल को देखते ही हम दोनों की लार टपक जाती हे ...तू डर मत इस कोठरी में जो कुछ होगा वो कोई किसी से नहीं कहेगा !" फिर गुअल्बि आगे धन्नो की और देखते हुए बोली - धन्नो तू बेकार की बात करती हे ...अरे इसकी बूर को शेर के मालिक को देदे वो अपने आप संभाल लेगा इसे तू बकचोदी क्यों करती हे ..चल शेर आजा मैदान में !" इतना बोल कर गुलाबी सुक्खू की तरफ देख कर मुस्कुरानी लगी !तब सुक्खू बोल ;-" तुम सब झूठे ही मेरे शेर को बदनाम कर रही हो ...!" तब गुलाबी बोली ;-' क्या गलत बोली ....ये ही बोली ना की शेर खुद ही शिकार कर लेगा !" तब सुक्खू बोल :-' ये ही तो गलत बोली ना ....शेर कोई शिकार नहीं करेगा ...ये तो बस गुफा में आराम करेगा ...इस जंगल वाली गुफा में !" इतना कह कर उसने अपनी मोती अंगुली से सावत्री की बूर की तरफ किया सावत्री सिटपिटा गई उसे पता चल गया की आज घर जाने तक धन्नो चाची उसकी बूर का पूरा बाजा बजवा कर रहेगी ! पहले ठाकुर साहब का अजगर और अब इस सुक्खू का उसके बिल की सरे दीवारे तोड़ देंगे !सुक्खू की बात सुनकर गुलाबी बोली ;-' सावत्री ...सुन ली ना ...अब तो डरने की कोई बात नहीं हे ....ये शेर शिकार नहीं करेगा ..अब तुम इस शेर को अपनी गुफा में थोडा आराम करने दो !"
फिर धन्नो बोली :-' गुफा की जिसे जरूरत हे वो ढूंढ ले ..हम क्यों उसके लिए मेहनत करे !"
सुक्खू
बोला :-" ठीक हे कोई बात नहीं लावो में खुद ही गुफा ढूंढ लूँगा .....मेने
बहुत गुफाये ढूंढी हे उसमे तुमने कोई सहायता नहीं की हे समझी ...इतना कमजोर नहीं हु की में गुफा ही नहीं ढूंढ सकू ...लाओ इसे मेरी तरफ में देखू की इसकी गुफा कहाँ हे !"इतना बोल कर सुक्खू सावत्री की तरफ बढ़ा की गुलाबी ने उसकी कमर से उसकी लुंगी को ढीली करते हुए खेंच दी और बोली :-" अरे ..अपने शेर को आजाद तो कर दो ये छोकरी भी देख ले की इसकी गुफा में घुसने वाला शेर कितना तगड़ा हे ....! इतना सुन्ना था की सुक्खू ने अपनी लुंगी गुलाबी के हाथ में देदी ! अब सुक्खू का मोटा काला लंड पूरी भयंकरता से फनफना रहा था सावत्री की चूत को देख कर जठ्के खा रहा था मानो सलामी दे रहा हो !दुसरे ही पल गुलाबी ने सुक्खू को पीछे की तरफ से सावत्री की और धक्का दिया ! ऐसा लगा जेसे वो सीधे ही सावत्री पर चढ़ जायेगा !
इसे देख कर धन्नो गुलाबी की तरफ देख कर बोली :-" तू ऐसे केसे धकेल रही हे री ...रंडी ...मानो किसी बछिया पर सांड चढ़ा रही हो !"ये सुनकर गुलाबी हंस पड़ी पर फिर उसने सुक्खू को पीछे से कस कर धक्का लगाया तो इस बार सुक्खू सावत्री के पास पहुँच गया ये देख कर सावत्री ने वहा से भागनी चाही पर सुक्खू के मजबूत हाथ ने उसकी बांह पकड़ ली और दुसरे हाथ ने उसकी कमर को पकड़ लिया और अपने बदन से सटाना चाहा ! सुक्खू ने जेसे ही सावत्री की कमर पकड़ कर अपनी और खींचना चाहा की सावत्री ने उसकी तरफ पीठ कर ली और आगे की और झुक गई वो उसकी पकड़ से छुटना चाहती थी पर छुट नहीं पा रही थी !सावत्री सुक्खू की गिरफ्त में ऐसे थी मानो किसी बाज ने किसी कबूतरी को पकड़ लिया था !सावत्री खुद काफी स्वस्थ शरीर की लड़की थी पर सुक्खू के सांड जेसे शरीर के सामने उसकी एक नहीं चल रही थी !उसके पैर लडखडा रहे थे इसी कारन उसके कुल्हे और जांघे सुक्खू के लंड से टच हो रहे थे !गनीमत ये थी की उसकी समीज का लटकता हिस्सा सावत्री की गांड को ढके हुए था वर्ना सुक्खू का लंड सीधा उसकी नंगी गांड से टच होता ! उसकी समीज के ऊपर से ही या कभी कभी उसकी नंगी झांगों से सुक्खू का झांटों से भरा हुआ मोटा लम्बा लंड अपने पुरे उत्थान पर टकरा रहा था ! इसी कारन सावत्री को लंड की गर्मी और मोटाई साफ़ पता चल रही थी ! उसका जी घबरा रहा था की इस लंड को वो केसे अन्दर लेगी ये धन्नो चाची तो उसे लगता हे आज ही उसकी चूत का भोसड़ा बनाने पर तुली हुई हे !पहले तो इन दोनों ने पकड़ कर ठाकुर साहब के मोटे लंड से चुदवा दिया उस वक्त तो ये विरोध नहीं कर पाई थी !पर यहाँ इन दोनों ने उसके हाथ नहीं पकडे थे इसलिए वो सुक्खू से छूटने की कोशिश कर सकती थी और वाही वो कर रही थी हालाँकि उसे अब तक कोई सफलता नहीं मिली थी ! दोनों छिनाले मुस्कुराते हुए सुक्खू और सावत्री को ही देख रही थी सोच रही थी सुक्खू इस छटपटाती सुक्खू को केसे चोदेगा उनके चेहरे सावत्री की हालत देख कर क्रूर मुस्कान से सुभोतित हो रहे थे जाहिर हे उन्हें ये खेल मजेदार लग रहा था !सावत्री छूटने के लिए भले ही अपने पैर इधर उधर कर रही हो पर सुक्खू से छुटने में उसे कोई सफलता नहीं मिल रही थी !धन्नो की नजर जेसे ही सुक्खू के झांटों से भरे लंड और सावत्री के चुतड पर ढके समीज के हिस्से पर पड़ी उसने तुरंत ही अपना हाथ उनके बीच में दाल दिया और सावत्री की समीज के हिस्से को कस कर सावत्री के पीठ पर ऊपर कर दिया !
अब सुक्खू का नंगा लंड सावत्री की नंगी गांड और कुलहो से टकरा रहा था बीच का अवरोध हट गया था !जेसे ही समीज हटी की सुक्खू का मोटा लंड सावत्री के काले मोटे कसे हुए चूतडों से रगड़ खाने लगा ! धन्नो की हरकत देख कर गुलाबी बोल उठी :-" तू धन्नो इनके बीच में मत आ ....बिलकुल हट जा ...आज देखते हे ये सुक्खू क्या करते हे ...बड़े मर्द बने फिरते हे ....आज इनकी मर्दानगी की ताकत देख लू में ...राज कहते हे असली मर्द हु में ..इस घोड़ी को इन्हें अकेले ही साधने दे ...देखती हु ये असली मर्द हे की नकली !"उसकी इतनी बात सुनकर सुक्खू सावत्री को काबू करने की कोशिस करते हुए बोला :-"में तेरे पति की तरह नामर्द नहीं हु ...समझी ना ....नकली बोलती हे ...तुझे तो पता ही हे ना ..तेरे पति ने ना जाने कितनी बार तुझे मुझसे चुदते हुए देखा ..लेकिन एक बार भी उसकी हिम्मत नहीं हुई की मुझे तुझ पर से हटा दे ...या जुबान खोल दे ...!" इतना सुनते ही गुलाबी अपने मुह पर दोनों हाथ रखते हुए हंस पड़ी और धन्नो भी उसके कंधे पर थप्पड़ मारते हुए हँसते हुए बोली ;-' अरे रंडी ...अपने पति की कुछ तो इज्जत रख ....वो तुझे इनसे चुदते हुए देख कर कुछ नहीं कहते तो इसका मतलब नहीं की तू उसे दिखा दिखा कर सुक्खू के नीचे लेट कर इसका लंड अपनी टाँगे उठा उठा कर पेलवाए ...!" गुलाबी धन्नो की इस बात को सुनकर गुलाबी लाज के कारन अपने दोनों हाथो से चेहरा छिपाए हंस रही थी की धन्नो की बात का जबाब देने के लिए सावत्री को दबोचने की कोशिश करता सुक्खू बोला ;-"अरे धन्नो भौजी तुम इस ग़लतफ़हमी में मत रह की इसका पति घर की इज्जत के लाज के मारे चुप रहता हे ...सच तो ये ही जब वो मेरे मुसल लंड को अपनी बीबी की चूत में फंसते हुए देखता हे और देखता हे की में कटोरी से तेल ले ले कर उसकी बीबी की चूत में अपना मोटा बांस उतारता हु तो उस बांस की लम्बाई मोटाई देख कर उसकी गांड कांप जाती हे और वो कुछ नहीं बोलता ..!"इतना कहते ही सुक्खू ने सावत्री की समीज के ऊपर से उसकी चूची को जोरदार मसल दिया और दर्द से सावत्री सीत्कार उठी आह्ह्ह्ह्ह…. चाचा ...दुखता हे ....मुझे छोड़ दो ...मुझे घर जाना हे ....अरॆऎ .....माँ ......!"सुक्खू फिर से उसकी चूची को मसलते हुए बोला :-" अरे बिटिया ...अभी छोड़ देंगे पहले चाचा को मजा तो लेने दे री ... चल अब जोर से नहीं दबायेंगे ....फिर अपने घर चले जाना ...पर पहले तुम्हे इतना मजा देंगे की ये सुक्खू चाचा तुझे रोज याद आयेंगे और तू दौड़ दौड़ कर मेरे नीचे ही लेटने आएगी !"
धन्नो गुलाबी के पति वाली बात पर बोली :-' सही हे ...असली मर्द के नीचे अपनी बीबी को दबी देख कर भला नकली मर्द क्या बोलेगा ...!"धन्नो की बात सुनकर हँसते हुए गुलाबी बोली ;-"बहुत असली मर्द बन रहे हो ...मेरा पति नामर्द हे ...और ये असली मर्द हे इतना घमंड ...अरे देखते हे आज ये असली मर्द बिना हमारी सहायता के क्या कर सकते हे !"उसकी इस बात को सुनकर सुक्खू एक हाथ से सावत्री की कमर को हुए उसके पीछे से दुसरे हाथ से उसकी चूची मीजते हुए बोला :-"और क्या वाही असली मर्द होता हे ..जो दूसरों की बीबियों को चोद डाले और क्या ...!"उसकी इस बात को सुनकर हँसते हुए और सुक्खू का उपहास उड़ाते हुए गुलाबी बोली ;-" असली मर्द का जब पता चलेगा जब तुम इस लोंडिया को हमारे सामने घोड़ी बना के चोद डालो ...!'सुक्खू उसकी बात पर बोला :-" अरे तुम कहो तो इसे घोड़ी क्या ...कुतिया बना कर चोद डाले अपने मोटे लंड से ...तुम बस देखती जाओ इस लौंडिया की चूत के केसे परखच्चे उडाता हु में लो देखो अब !"तब गुलाबी बोली ;-' ये तो ठीक पर हम दोनों इसमें कुछ नहीं करेगी ...तुम्हे अकेले ही इसे काबू करके चोदना होगा ..ये भी सुन लो !"ऐसी चुनोती सुनकर सुक्खू बोला :-" अरे मेने कहा ना में तेरे पति की तरह नामर्द नहीं हु ...जो दुसरो से अपनी बीबी को चुदत देख कर खुश होता हो ....में इसे अकेले ही चोद दूंगा तुम्हारी सहायता की कोई जरुरत नहीं हे मुझे ...और ये भी जब असली मर्द से चुदवा लेगी फिर अपने आप ही मेरे नीचे लेटने आएगी किसी कुतिया की तरह देख लेना ...!"ये सुनकर सावत्री भी घबरा गई और शर्म से सिहर भी गई !सुक्खू अपने हाथ से उसकी दोनों चुचियों को बारी बारी से मीज भी रहा था इसकी वजह से सावत्री की चूत गरम होकर भट्टी की तरह गरम हो रही थी पर वो हर हाल में सुक्खू से छूटना चाहती थी और यहाँ से भाग जाना चाहती थी !इसलिए वो पुरजोर विरोध कर रही थी की सुक्खू से छूट जाये पर सुक्खू की मजबूत पकड़ के कारन ये संभव नहीं हो पा रहा था !तभी सुक्खू ने सावत्री की कमर को अपने हाथ से आजाद कर दिया तुरंत ही सावत्री ने वह से भागने की कोशिश की पर सुक्खू ने एक हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और दुसरे हाथ को सावत्री की झांघों में डालते हुए उसकी बूर के पास से हाथ आगे बढ़ा कर पार कर लिया यानि आगे से हाथ दाल कर झंघो के बीचे से उसकी गांड को पकड़ लिया !
सावत्री कुछ समझ पति उससे पहले ही सुक्खू ने उसकी गांड को थाम कर उसे अधर हवा में उठा लिया जेसे कोई पहलवान किसी दुसरे पहलवान को कुश्ती के अखाड़े में पटकने के लिए करता हो !सावत्री जेसे ही हवा में उठी वो डर कर चीख उठी मानो वो नीचे गिर जाएगी ..."आया रे माई ...में घिर जाब रे माई ....म मुझे नीचे उतारो च… चाचा ...!" और फिर पहले सुक्खू के सर को फिर गले को और कंधो को उसने कस के पकड़ लिया ताकि वो नीचे ना गिरे वो बुरी तरह से सुक्खू से चिपक गई ! सुक्खू ने देखा की सावत्री उसके कंधे को पकड़ कर चिपक गई उसने उसकी जांघों के बीच से हाथ निकल लिया और उसका पैर अपनी कमर पर लपेट लिया और उसका दूसरा पांव नीचे चारपाई के पाए पर टिका दिया !और खुद सावत्री के पुरे वजन को मानो अपने कंधे पर लेते हुए खड़ा रहा !ऐसा करने से सावत्री का दूसरा पैर भी सुक्खू की कमर के पास था और उसकी बूर पूरी तरह से फेली हुई थी !सुक्खू
धीमेसे सावत्री से बोला :-" ऐसे ही मेरे कंधे को पकडे रहना वर्ना नीचे गिर
जाओगी ...!" सावत्री वेसे ही हवा में उठी रही और किसी तरह से वेसे ही खड़े सुक्खू के बलिष्ठ कंधे और गले से से चिपकी रही !फिर सुक्खू ने सावत्री को जो पांव उसकी कमर के पास हवा में लहरा रहा था उस पांव की झांघ को पकड़ कर उठाया , उसने उसके पहले पांव के पंजे को खाट के पाए पर ही टिकाये रहने दिया इस कारन सावत्री की बूर पूरी तरह से खुल चुकी थी ! उसने उसके दुसरे उठाये हुए पांव की जांघ को किसी तरह अपनी कमर के पास उभरे हुए कुल्हे की हड्डी के पास अटकाया अब उसकी बूर पूरी तारक से खुल चुकी थी और तुरंत ही अपने हाथ को मुह के पास किसी तरह ले गया और ढेर सारा थूक अंगुलियों पर भर लिया और पहले से चोडी हुई झांघों के बीच कुछ खुल चुकी बूर के मुह पर उसने वो थूक चुपड़ दिया जब सावत्री को अपनी बूर के मुह पर सुक्खू की अंगुलिय थूक के साथ महसूस हुई तो वो हिल सी गई पर नीचे गिरने के डर के कारन वो जेसे तेसे उससे चिपकी रही !
तुरंत ही सुक्खू ने अपना हाथ फिर से अपने मुह से लगाया और ढेर सारा थूक ले लिया इस बार उसने वो थूक अपने तन्नाये हुए सीधे खड़े मूसल लंड के सुपाडे पर लगा लिया उसकी लंड की चमड़ी अपने आप ही खिच कर पीछे हो गई थी !सावत्री को दूसरी बार सुक्खू ने अपना थूक कहा लगाया ये पता नहीं चला क्यूंकि वो गिर जाने के भय से सुक्खू से चिपकी हुई थी और उसे उसकी सिर्फ पीठ ही दिखाई दे रही थी उसने कस के सुक्खू के कंधे और गर्दन को पकड़ रखा था !फिर सुक्खू ने बहुत ही चालाकी से अपने उठे हुए और थूक से सने काले मूसल को सावत्री की फेली हुई बूर में उसकी झांटों को एक तरफ करते हुए अपने मूसल लंड का सुपाडा उसकी बूर की दरार में टटोल कर उसके चूत के मुह पर फिट कर लिया ! जेसे ही सुक्खू के लंड का सुपाडा सावत्री की बूर के मुह से लगा सावत्री को लंड के सुपाडे की गर्मी अपने बूर में महसूस होने लगी ! उसे ऐसा लगा जेसे कोई गरम मोती लोहे की रोड को उसकी बूर के छेद से सटा दिया हो !सावत्री की बूर कुछ पनियाने लगी थी वो वेसे ही हवा में लटकी हुई सुक्खू के कन्धो और गले को कास के पकडे लटकी रही और अपना सर उसके कंधे पर टिका लिया और उसका मुह अपने बूर में सुक्खू के लंड की गर्मी पा कर कुछ खुल सा गया !फिर सुक्खू ने जिस हाथ से सावत्री की बूर के छेद पर अपने लंड के सुपाडे को फिट किया था उसी हाथ से उसने टटोल कर देख लिया की उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत में सही जगह सटा हुआ हे या नहीं सब सही पा कर उसने फिर सावत्री के कान में धीरे से पूछा :-" नीचे उतरोगी !"उसकी बात सुनकर सावत्री ने अपनी आँखे हलकी सी खोली और वो धीरे से बोली :-" हं ...हूँ .....उतरूंगी !"सावत्री की बात पूरी ही नहीं हुई की सुक्खू ने सावत्री की कमर को अपने दोनों हाथो से थाम लिया और जो पैर खाट के किनारे पे टिका हुआ था उसे हटाया तो सावत्री का सारा वजन हवा में एक दम से नीचे की और आने लगा !जेसे ही सुक्खू ने उसकी कमर को कसा और उसका शरीर नीचे आने लगा अब उसके दोनों पैर हवा में थे और उसका पूरा वजन सुक्खू के लंड पर था जिसका सुपाडा उसके चूत के छेद पर अटका हुआ था !
जेसे ही सावत्री का वजन से शरीर नीचे आने लगा सुक्खू ने एक हाथ उसकी गांड पर सहारा के लिए रखा और दुसरे हाथ से उसके कंधे को नीचे झुकाया और सुक्खू का खड़ा खम्भे मूसल लंड जो की तन्नाया हुआ था सावत्री की बूर को जेसे ककड़ी की तरह फाड़ता हुआ समूचा का समूचा मूसल लंड सावत्री की छोटी सी बूर में ठूस गया !सुक्खू का लंड कोई नो इंच का था जिसमे से आठ इंच इस झटके में एक बार में ही सावत्री की चूत में घुस कर फंस गया !सावत्री को लगा जेसे वो किसी लोहे की राड पर बेथ गई हो जो सीधा उसकी बूर में घुस कर उसकी बच्चेदानी से टकरा गई हो !उस सुनसान दोपहर में उस छोटी सी कोठरी में सावत्री की चीख गूंज उठी ! वो रूवांसी स्वर में रोती हुई और चीखती हुई बोली ;-" आआआआ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......अरे ऎऎऎ ...मोरी माई ...मर गइल में तो ....मेरी बूरिया फट गई रे ..चाची चाचा को कहो की निकाल ले री .......अरे मर गई रे ....म म म ....माई फट गई रे ....मोर बुरिया चिर गई रे ...आआआअ ... रे चाची ....आ रे ब .ब .बाप रे .....आआ… क्या करू रे में ...!"सुक्खू सावत्री की कमर और उसकी झांगों के नीचे सहारा दिए खडा था सावत्री की बूर में उसका मूसल जेसा खूंटा ठुका था और वो जेसे उस
पर टंगी हुई थी ! सावत्री का चेहरा दर्द से विद्रूप हो गया था उसके हाथों
से सुक्खू के कस के कंधे झखडे हुए थे ताकि वो और नीचे नहीं खिसके ताकि उसकी बूर में और ज्यादा दर्द नहीं हो !गुलाबी और धन्नो दोनों छिनालों की तरफ सावत्री की पीठ थी इसलिए उन्हें उसकी मोटी गांड के पास से सुक्खू का मोटा मूसल घुस हुआ दिखाई दे रहा था ! उन दोनों ने नीचे झुक कर देखा सुक्खू के मूसल ने सावत्री की बूर की चमड़ी को फट जाने की स्थिति तक फेला दिया था उसकी बूर की दीवारें सुक्खू के लंड को बुरी तरह से कसे हुए थी !
उन दोनों गौर से सुक्खू के लंड और सावत्री की बूर का मुआयना किया तो पाया की अभी सुक्खू का करीब एक इंच लंड बाहर था इसलिए धन्नो बोली :-"बस थोडा सा बाहर हे ...एक धक्के में वो भी अन्दर हो जायेगा ....एक धक्का और मार दो !"बूर में मोटे तन्नाये हुए लंड के एक ही झटके में पुरे ठुंसे हुए लंड के दर्द से बिलबिला रही और सिसक रही सावत्री के कान में जेसे ही धन्नो चाची के ये शब्द पड़े की वो आँखों में आंसू बहाती गिडगिडा उठी :-" न ..नहीं ..च ..चाची ...अब ..नहीं ...मोरी बूरिया फट जाईब ...अब ..नहीं ...निकलवा दो चाची ...बड़ा मोटा हे रे .....फाड़ देहीस ....आआआ ..ह्ह्ह्ह्ह्ह ...बूरिया ..फट गई री ....आआआह माई .....बापू रे ...मर गई में तो !"ये सुनकर हँसते हुए धन्नो बोली :-" अरे अब नहीं फटेगी तो कब फटेगी .....छिनाल बनने के लिए ऐसा मोटा मोटा लंड तो ऐसे ही बूर में ठुनस्वाना पड़ता हे ....चाहे बूर गीली हो या सूखी ....जब बूर में मोटे मोटे लंड घुसवा कर इसे फडवाएगी खूब मूसल ठुस्वाएगी ..तब ही छिनाल और चुदेल रंडी बनेगी ..हे हे हे हे !"फिर धन्नो सुक्खू से बोली ;-' अरे छोकरी कसमसा रही हे ...ठूंस दो पूरा झड़ तक .....हो सके तो अपने मोटे आंदे भी उतार दो इसकी चूत में ....हे हे हे ...लंड जबरदस्ती ठुसाई का मजा तो चुदाई से भी ज्यादा होता हे .....तान के मारो धक्का की ये मूत दे लटके लटके ..हा हा हा हा हा !"धन्नो के ललकारते ही सुक्खू ने सावत्री की कमर को पकड़ कर ऊपर उठाया उसका लंड सावत्री के बूर से करीब दो इंच और बाहर हो गया यानि ९ इंच में से तीन इंच बाहर सावत्री अभी इसका सुख भी नहीं ले पाई की सुक्खू ने सावत्री की कमर को जोर से नीचे धकेला और अपने लंड को पैर के पंजों के बल पर होकर ऊपर की और धकेला !जेसे ही कमर नीचे हुई तो बूर भी तेजी से नीचे की और आई और लंड को ऊपर की और ठेल देने की वजह से सुक्खू का मोटा लंड पूरी तरह से बूर में घुस कर कस गया ! अब सावत्री की बूर में समूचा का समूचा लंड घुस हुआ था !सुक्खू ने सावत्री की झंगों को अपने हाथो में कस के पकडे रखा और अपने घुटनों को हल्का सा मोड़ कर वेसे ही खड़ा रहा !सावत्री का पूरा वजन अब बूर में घुसे लंड पर ही था !अपनी बूर में घुसे लंड का जबरदस्त दबाव पाते ही उसके मुह से एक घुटी घुटी सी चीख निकल पड़ी और वो रोते रोते कहने लगी :-"आअह्ह्ह ...रे ...माई .....अब तो फट गईल रे मेरी बूरिया तो फट गईल .....निकाला ..लंड मेरी बूरिया को फाड़ देहील रे ...अरे मोरी मैय्या ....अरे बापू ......इ ..का हो गया ...में कहा फंस गई ....बूरिया फट के फ़ेल गई री मोरी ..!" तीनो सावत्री के मुह से निकले शब्दों को बड़े चाव से सुन रहे थे उनके चेहरे पर सावत्री की चुदाई को देख कर खुसी दोड रही थी और तीनो को बहुत आनंद आ रहा था !खास कर सुक्खू का लंड सावत्री की सिसकियों से और फूल रहा था !लेकिन तभी गुलाबी बोली ;-' अरे केसा फेल गया री ...बूरिया तोरी ....सच बता ...अगर तोरी बूरिया फट के फेल गई हे तो लंड को निकलवा दूँ ...हाँ ....बोल बिटिया ...बोल ...!" ये सुन कर सावत्री फिर रूवांसी आवाज़ में गिडगिडा कर बोली :-" हाँ हाँ चाची ...हाथ जोडू ...पैर पडूँ .....इसे निकलवा दो ....लगता हे मेरी बूरिया फट गई हे ....फट गई चाची लंड निकलवा दो ...!"
अब सावत्री को क्या पता वे उसके मजे ले रहे थे और सावत्री के ऐसे बोलने से उनकी आत्मा तृप्त हो रही थी !ये सुनकर गुलाबी मजे लेते हुए बोली ;-' तू झूठ बोल रही हे री हरजाई ....कहाँ तेरी बूर फट गई हे ....थोडा देख तो लू ..कहाँ फटी हे तेरी बूर !"इतना बोल कर गुलाबी नीचे झुक कर सावत्री की बूर को गौर से देखने लगी बूर में सुक्खू का समूचा लंड ठूसा हुआ था और जब देखा की लंड झड तक बूर में घुस हुआ हे तो धन्नो से बोली :-"अरे देख री ....इसकी बूरिया केसे पसर गई हे रे सुक्खू का मोटा लंड खा के ....देख भला केसे बूर अपना मुह फाड़ दी हे इस मूसल को अपने अन्दर लेने में ..!"इतना सुनकर धन्नो भी नीचे झुक कर सावत्री की बूर और उसमे झड तक गुसा सुक्खू का लंड देख कर मुह बनाते हुए बोली :-"हाँ सच कह रही हो ....एक दम से अन्डास कर कस कस गया हे इसका मोटा लंड .....देखो केसा दिख रहा हे मानो पहली बार लंड घुसा हो .....कोरी कुंवारी छोकरी की बूर हो जेसे ...सुक्खू की तो आज किस्मत खुल गई 50 साल की उम्र में 18 साल की लड़की की बूर मिली हे हे हे हे हे !"तभी खड़े खड़े सुक्खू ने मुस्कुरा कर पूछा :-" टटोल कर देख लो ....कुछ रह गया हे क्या .....और धक्के मारू क्या !"तब धन्नो बोली :-' लंड पूरा का पूरा अन्दर हे ...एक सूत भी बाहर नहीं हे .....बूर तो पूरी तरह से जीभ निकल दी हे ..ये मोटा बांस किसी बछेरी की भी जीभ निकल दे ये सावत्री तो बेचारी कुंवारी लड़की हे ......मोटा लंड पूरा अन्दर अब बाहर बचे हे तो ये पहाड़ी आलू जेसे बड़े बड़े आँडू ...हे हे हे हे !"तब गुलाबी भी हंस पड़ी और बोली :-" अब ये आँडू भी घुसाना चाहते हो तो बेशक धक्के मारो ...पर अब इनके लिए अन्दर जगह नहीं हे ....ये दो मेहमान तो घर से बाहर ही रहेंगे सिर्फ दरवाज़े से टकरायेंगे ....या बूर की सहेली इसकी गांड से टक्कर खायेंगे हे हे हे हे !"इस पर तीनो मुस्कुरा दिए उधर सावत्री की सांस अटकी थी उसे डर था की सुक्खू के घोड़े जेसे लंड ने उसकी बूरिया ना फाड़ दी हो !सावत्री फिर रिरिया कर बोली :-" च .चाची बूरिया फट गई ..!"इतना बोली की धन्नो गुस्से से चिल्ला कर बोली ;-' कहाँ बूर फटी हे ...हरजाई ....साली रंडी कब की जान खा रही हे ...अबकी चिल्लाई तो देखना गधे का गुसा कर सच में फाड़ दूंगी ....लंड घुसते ही साली की बूर फटने लगी ....अब फिकर मत कर पूरा लंड लील गई हे तेरी बूर इसलिए फडफडा रही हे ....अभी तेरी बूर को जोर दार ठुक्वाती हु इस मूसल से तो फिर ये ठीक हो जायेगी !"इतना बोल कर धन्नो गुलाबी की तरफ देखते हुए बोली :-" बूर तो पूरी तरह से ठसाठस हो गई हे ....सुई जाने भर की जगह नहीं हे ...में तो सोचती हु इसे चित लेटाकर इसकी बूर को कस कस के पीटा जाय तो इसकी बूर कुछ ढीली हो जाएगी अभी तो इसकी अकड़ बरकरार हे ये लंड को दबोच के बेठी हे ....नीचे लिटा कर इसकी चुदाई करवाओ तो इसकी चूत की पिटाई भी देखने लायक होगी !"
इतना सुनकर गुलाबी बोली ;-' हाँ ...तू सच कहती हे ....एकदम जवान छोकरी हे ...लंड ठूसा कर और चित लेट कर इस मूसल को अपनी चूत में कस कस कर पेलवाएगी तो इसकी चूत का रेशा रेशा खिल कर ढीला हो जायेगा ....ना हो तो इसे इसे चित लेटा कर सुक्खू से पेलवा ही दो !"तभी धन्नो बोली :-" इसे खाट पर लेटा कर सुक्खू इसकी बूर को कस कस के मारो ...फिर देखते हे तुम कितने असली मर्द हो !"इतना सुनते ही गुलाबी बोली :" नहीं ...खाट पर नहीं ...नहीं तो खाट टूट जाएगी ...ये इसे कस के पेलेगा ...और जब इसे कस कस कर और हुमच हुमच कर चोदना हे तो जमीन पर बिस्तर लगा दो !"तब धन्नो बोली :-" अरे ये जमीन पर ठुकेगी तो हमें उतना ठीक से नहीं दिख पायेगा की केसे सुक्खू का लंड इसकी बूर की बखिया उधेड़ेगा ..खाट पर साफ़ दिखेगा की केसे इस रंडी की बूर मूसल लंड को खाएगी और केसे ढीली होगी और फेल जाएगी और चूत का भोस्ड़ा बन जाएगी फिर किसी लंड से नहीं डरेगी !"लेकिन फिर गुलाबी बोली :-" खाट पर तो बिलकुल ही नहीं ....में इसे देखने के लिए अपनी खाट नहीं तुडवाने वाली ......जमीन पर बिस्तर लगाती हु और इस हरजाई की गांड के नीचे चोड़ाई वाला तकिया लगा दूंगी ....इसकी बूर पूरी तरह से ऊपर उठ जाएगी सुक्खू को भी हर बार झड तक पेलने में आनद आएगा और हमें भी तमाशा साफ़ दिखेगा ...!"
इतना बोल कर गुलाबी ने एक बिस्तर जमीन पर बिछा दिया ! तब धन्नो बोली ;-' देखते क्या हो इसकी बूर तो मूसल लंड को खा के पसर गई हे ...यही मौका बढ़िया हे इसे इस बिस्तर पर चित लेटा कर धौस धौंस कर हुमच दो बूर का रेशा रेशा ऐसा ढीला कर दो मानो ये चार बच्चो की माँ हो ...तब हम मान लेंगे की असली मर्द हो .....चलो इसकी माँ की मेरे बारे में फेलाई बातों का तुम इसे रगड़ रगड़ कर चोद कर जबाब देदो ....इसके मुह से चीखें निकलनी चाहिए ....कितने दिनों से इस बात का इन्तजार था मुझे ...!' तब तक गुलाबी भी अन्दर वाली कोठरी से एक तकिया ले कर आ गई सुक्खू ने देखा तो मुस्कुरा दिया उस तकिये को अपनी गांड के नीचे लगवा कर गुलाबी ने अपनी चूत उससे कई बार मरवाई थी ! ये तकिया सामान्य तकिया जेसा नहीं था ये उनसे अलग था इसका एक हिस्सा काफी पतला था और दूसरा हिस्सा काफी मोटा ! तकिये के बीच में थोडा उभार था और उस उभार से दोनों तरफ ऐसा बना हुआ था की किसी की चौड़े चुतड उसमे एक दम से फिट हो जाए !गुलाबी ने उस तकिये को बिस्तर पर रख दी जहाँ किसी की सोने पर उसकी गांड या कमर आये !ये किसी चोद तकिये जेसा था !
Muze chudai se bhar denewala chahiye
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